Friday, August 22, 2025
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रूस का डेड हैंड एटॉमिक अटैक सिस्टम वह शक्ति है जिससे पूरी दुनिया कांपती है, जानिए क्या है ये भयानक साधन।

रूस के पास डेड हैंड सिस्टम है। इस हथियार से दुनिया थर-थर कांपती है। चलिए जानते हैं कि ये हथियार दुनिया के लिए क्यों इतना खतरनाक है। क्या है ये, कैसे काम करता है, और इसकी खासियत?

रूस के पास विश्व की सबसे शक्तिशाली मिसाइलें और परमाणु हथियार हैं। रूस के पास परमाणु मिसाइलों का विशाल जखीरा है। हम आज उस रहस्यमयी और खतरनाक हथियार के बारे में बात करेंगे, जिसका नाम सुनते ही दुनिया के शक्तिशाली देश थर-थराते हैं। चलिए जानते हैं कि उस हथियार का नाम क्या है और उसकी क्या विशेषता है।\

यह एक खतरनाक हथियार है जो दुनिया में मौजूद है।

रूस के पास डेड हैण्ड सिस्टम है जिसे रूस में पेरिमीटर के रूप में जाना जाता है। यह एक स्वचालित परमाणु हमला प्रणाली है, जो किसी मानवीय हस्तक्षेप के बिना दुश्मन देश को नष्ट करने की क्षमता रखता है। यह दुश्मन को तबाह करने की शक्ति रखता है अंतिम सांस तक। यही कारण है कि इसे दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है।

डेड हेड की विशेषता हैंड कौशल।

डेड हैंड एक स्वचालित परमाणु जवाबी हमला प्रणाली है, जिसे 1980 के दशक में सोवियत संघ ने विकसित किया था। उसका उद्देश्य था रूस की परमाणु ताकत को इस प्रकार सुरक्षित करना कि अगर कोई देश जैसे कि अमेरिका, रूस पर पहला परमाणु हमला करे और उसकी पूरी नेतृत्व व्यवस्था या कमांड चेन नष्ट हो जाए, तो भी यह प्रणाली स्वयं उत्तरदायीत्ा जवाबी हमला कर सके। इसे सरल शब्दों में कहें तो यह एक ऐसी मशीन है जो ‘मरते दम तक बदला’ ले सकती है।

यह सिस्टम कैसे कार्य करता है?

डेड हैंड सिस्टम एक अत्याधुनिक सेंसरों से लैस प्रणाली है, जो परमाणु हमले के संकेतों को धारण करते हैं. इन सेंसर भूकंपीय गतिविधियों, रेडिएशन स्तर, वायुदाब और कम्युनिकेशन नेटवर्क में रुकावट का मॉनिटरिंग करते हैं. अगर ये सेंसर पुष्टि करते हैं कि रूस पर परमाणु हमला हुआ है और कोई जवाबी कमांड नहीं आ रहा, तो यह सिस्टम स्वचालित रूप से सक्रिय हो जाता है. इसके बाद एक विशेष कमांड मिसाइल लॉन्च होती है, जो रेडियो सिग्नल के जरिए रूस के सभी परमाणु हथियारों को लॉन्च करने का आदेश देती हैं. ये मिसाइलें अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के प्रमुख सैन्य ठिकानों और शहरों को निशाना बनाती हैं.

क्या यह अभी भी कार्यक्षम है?

रूस ने कभी आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया कि डेड हैंड आज भी सक्रिय है, लेकिन 2011 में रूसी कमांडर सर्गेई कराकायेव ने इसके मौजूदगी की पुष्टि की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इसे और अधुनिक बनाया गया है, जिसमें AI और सैटेलाइट डेटा का उपयोग किया जा सकता है। हाल ही में, रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इसकी चेतावनी दी, जिससे वैश्विक तनाव और बढ़ गया।

क्या खतरा है?

डेड हैंड को ‘डूम्सडे डिवाइस’ भी कहा जाता है। यदि तकनीकी गड़बड़ी या गलत सिग्नल के कारण यह सक्रिय हो जाए, तो पूरी दुनिया परमाणु युद्ध की चपेट में आ सकती है।

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