रेपो दर कटौती: इस साल की शुरुआत में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर बनने के बाद संजय मल्होत्रा ने रेपो दर पर यह चौथी बार नीतिगत बयान दिया है। इस साल अब तक तीन बार रेपो दर में कटौती की जा चुकी है

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 4 से 6 अगस्त तक चली बैठक के बाद रेपो रेट की घोषणा की गई। लगातार तीन बार कटौती के बाद, इस बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस साल की शुरुआत में आरबीआई के गवर्नर बने संजय मल्होत्रा द्वारा रेपो रेट पर यह चौथा नीतिगत बयान है। अब तक इस साल तीन बार रेपो रेट में कटौती की जा चुकी है, बावजूद इसके घर खरीदारों और बैंक से ऋण लेने वालों को एक बार फिर राहत की उम्मीद थी
ब्याज दरों में कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ।
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान संजय मल्होत्रा ने वैश्विक व्यापारिक हालातों का उल्लेख करते हुए कहा कि आरबीआई ने देश में आर्थिक गति बनाए रखने के लिए कई उचित कदम उठाए हैं और अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत बनी हुई है। अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत पर उन्होंने कहा कि जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, आरबीआई कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता
संजय मल्होत्रा ने बताया कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि वर्ष की शुरुआत में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद अब किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं समझी गई है। उन्होंने उससे साथ ही आशंका जताई है कि आने वाले समय में महंगाई में बढ़ोतरी हो सकती है
6.5% ग्रोथ रेट का अनुमान।
आरबीआई ने घोषित किया है कि वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी में किसी तरह की परिवर्तन किए बिना 6.5 प्रतिशत का अंश बना रहेगा। आरबीआई ने दिखाया है कि पूरे साल के तिमाही वार के लिए भी अलग-अलग अनुमान किए गए हैं- क्वार्टर 1 में 6.5 प्रतिशत, क्वार्टर 2 में 6.7 प्रतिशत, क्वार्टर 3 में 6.6 प्रतिशत और क्वार्टर 4 में 6.3 प्रतिशत
इससे पहले, आरबीआई ने इस साल फरवरी महीने में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी, जो पिछले पांच वर्षों में पहली राहत थी। इसके बाद रेपो रेट 6.25% हो गया था। फिर अप्रैल महीने में 25 बेसिस प्वाइंट की और कटौती की गई। इसके बाद जून महीने में केंद्रीय बैंक ने अप्रत्याशित रूप से 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की, जिससे रेपो रेट घटकर 5.5% रह गया