लाल किले का निर्माण शाहजहां ने 17वीं सदी में करवाया था। निर्माण के समय इसका रंग सफेद था, लेकिन अंग्रेजों ने जब इस पर कब्जा किया तो इसकी दीवारों को लाल रंग से रंगवाया। इसके कारण इसे लाल किला कहा जाता है

दिल्ली में स्थित लाल किला न केवल भारत की शान है बल्कि इतिहास और संस्कृति का एक अनमोल प्रतीक भी है। हर साल 15 अगस्त के मौके पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं। हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा दिल्ली के लाल किले पर शान से लहराता है। जिसे देख हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिसे हम ‘लाल किला’ कहते हैं, वह पहले लाल रंग का था ही नहीं? आइये जानते हैं कि वह लाल किला पहले किस रंग का था और उसे कब और किसने पेंट करवाया था
लाल किला पहले किस रंग का था
लाल किल किले का पुराना नाम ‘किला-ए-मुबारक’ था जो मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं सदी में बनवाया था. इस किले का निर्माण करने में एक दशक लगा था। यह किला सम्राट की शक्ति और भव्यता का प्रतीक है जो मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें फारसी, तैमूरी और हिंदू शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है। शाहजहां ने इसे बनवाते समय सफेद चूने और संगमरमर से बनाया था जिससे इसे एक चमकदार रूप दिया गया था
क्यों है खास लाल किला
लाल किला भारत की आजादी और गौरव का प्रतीक है। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से पहली बार अंग्रेजी हुकूमत का झंडा उतारकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया था, जिससे स्वतंत्र भारत की शुरुआत हुई थी। इसे सत्ता के केंद्र के रूप में स्थापित करने के तौर पर देखा गया था। उस दिन से यह परंपरा हर स्वतंत्रता दिवस पर जारी है