भारत की आर्थिक वृद्धि के संकेत में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी से लगातार 4 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है, जो जून में 2.1 प्रतिशत दर्ज की गई। वहीं, थोक मूल्य मुद्रास्फीति (WPI) 19 महीनों बाद नकारात्मक क्षेत्र में आ गई, जून में यह 0.13 प्रतिशत घट गई।
भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि
जुलाई 2025 में भारत के सेवा क्षेत्र ने एक अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है, और यह वृद्धि पिछले 11 महीनों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. मौसमी रूप से समायोजित HSBC इंडिया सेवा पीएमआई (Purchasing Managers Index) जुलाई में 60.5 रहा, जो जून में 60.4 था. यह अगस्त 2024 के बाद का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. पीएमआई सूचकांक में 50 से ऊपर का स्तर आर्थिक गतिविधियों में विस्तार को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का स्तर संकुचन का संकेत देता है. नए निर्यात ऑर्डरों में तेज़ उछाल और समग्र बिक्री में मजबूती कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय सेवा प्रदाताओं को एशिया, कनाडा, यूरोप, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे देशों से नए ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय मांग में मजबूत सुधार देखा गया है.
सर्विस सेक्टर में तेजी बढ़ रही है।
कीमतों के मोर्चे पर, जून की तुलना में कच्चे माल और तैयार उत्पादों की लागत में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है. उत्पादन मूल्य में यह बढ़ोतरी लागत दबाव और मजबूत मांग को दर्शाती है. HSBC की चीफ इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी के अनुसार, सेवा क्षेत्र की यह मजबूती मुख्य रूप से निर्यात ऑर्डरों में वृद्धि के कारण है. हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कीमतों में जो तेजी आई है, उसमें आगे चलकर बदलाव संभव है, जैसा कि हाल के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आंकड़ों से संकेत मिलता है.
जून में खुदरा मुद्रास्फीति 2.1 प्रतिशत रही, जो फरवरी से 4 प्रतिशत के नीचे बनी हुई है, जबकि थोक मूल्य मुद्रास्फीति 19 महीने के अंतराल के बाद नकारात्मक रही और जून में 0.13 प्रतिशत घटी. इसी दौरान, HSBC इंडिया कम्पोजिट आउटपुट सूचकांक भी जुलाई में मामूली बढ़कर 61.1 पर पहुंच गया, जो जून में 61.0 था. यह सूचकांक विनिर्माण और सेवा पीएमआई का संयोजन है. सेवा पीएमआई को S&P Global द्वारा लगभग 400 सेवा क्षेत्र की कंपनियों के उत्तरों के आधार पर तैयार किया गया है.
