RBI के रेपो दर: 2025 में RBI ने अब तक तीन बार रेपो दर में कटौती की है। इससे पहले फरवरी, अप्रैल और जून में हुई MPC की बैठक में 25-25 और 50 बेसिस पॉइंट की रेपो दर में कटौती की गई है।

RBI Repo Rate: रक्षाबंधन से पहले देशवासियों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से ब्याज दरों में कटौती का तोहफा मिल सकता है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 4 से 6 अगस्त के बीच होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स (bps) की कटौती की संभावना जताई जा रही है।
त्योहारी सीजन में क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा
रिपोर्ट में बताया गया है कि अगस्त महीने में ब्याज दरों में कटौती के कारण क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा मिलने से ‘जल्दी दिवाली’ आ सकती है क्योंकि वित्त वर्ष 2026 में त्योहारी सीजन की भी जल्द शुरुआत होने वाली है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पिछले आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि दिवाली से पहले रेपो रेट में कमी करने से त्योहारी सीजन में क्रेडिट ग्रोथ को मजबूती मिलती है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी उम्मीद जताई गई है कि अगस्त में होने वाली MPC की बैठक में रिजर्व बैंक रेपो रेट में फिर से 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2017 में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद दिवाली तक क्रेडिट ग्रोथ में 1,956 अरब रुपये का उल्लेखनीय इज़ाफा देखा गया था। इस बढ़ोतरी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा पर्सनल लोन सेगमेंट से आया था।
चूंकि दिवाली देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, इस दौरान उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होती है। दिवाली से पहले ब्याज दरों में कटौती से लोन लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है। कम रेपो रेट से बैंकों की उधारी की लागत घटती है, जिससे वे अपने ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर लोन प्रदान करने में सक्षम होते हैं।
इससे पहले, कटौती तीन बार की गई है
साल 2025 तक रिपो दर में तीन बार कटौती की गई है, जिसकी घटना फरवरी और अप्रैल महीने में हुई एमपीसी की बैठक में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती के साथ। इसके बाद, जून में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई, जिससे यह दर 6 प्रतिशत से घटकर 5.50 प्रतिशत पर पहुंची।
रेपो रेट कम होने से होम लोन सस्ता हो जाता है क्योंकि होम लोन की ब्याज दरें रेपो रेट से निर्भर होती हैं। यदि ब्याज दरें कम होती हैं, तो लोग घरों और कारों की खरीदारी के लिए ज्यादा लोन लेंगे। इससे अर्थव्यवस्था में नकदी की उपलब्धता बढ़ती है और संवृद्धि को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है।