Friday, August 1, 2025
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‘भगवा आतंकवाद’ शब्द का पहली बार इस्तेमाल किसने और कब किया था, यह राजनीति पर कैसे असर डाला था, इसकी प्रारंभिक कहानी क्या थी?

साल 2008 में मुंबई के मालेगांव में हुए ब्लास्ट मामले में बीते दिन मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया है और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि इन लोगों पर जो आरोप लगाए गए हैं, उसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. मालेगांव ब्लास्ट भारत की सबसे चर्चित आतंकी घटनाओं में से एक है. आज से 17 साल पहले यह घटना महाराष्ट्र के नासिक जिले में हुई थी. इस घटना में विस्फोट के लिए एक फ्रीडम बाइक का इस्तेमाल किया था. इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.


इस विस्फोट के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में था भगवा आतंकवाद शब्द. चलिए जानें कि सबसे पहले इस शब्द का किसने इस्तेमाल किया था और कैसे इस पर राजनीति शुरू हुई.

मालेगांव विस्फोट के बाद एक नए शब्द का जन्म हुआ था, जिसे हिंदू आतंकवाद का नाम दिया गया था. पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल 2008 में गृहमंत्री पी चिदंबरम ने किया था. उनके बाद दिग्विजय सिंह ने भगवा आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया था. भाजपा ने इस संबोधन पर कड़ी आपत्ति जताई थी. भाजपा का कहना था कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है. इस ब्लास्ट को हिंदू आतंकवाद का नाम देना हिंदू धर्म और उसकी संस्कृति के खिलाफ है. इसके बाद इस शब्द को मालेगांव ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस और अजमेर शरीफ धमाके से भी जोड़कर देखा जाता है.

भगवा आतंकवाद शब्द का उपयोग हमलों और हिंसा को आदान प्रदान करने के लिए किया जाता है, जिसमें हिंदू राष्ट्रवादी संगठन से जुड़े लोग शामिल होते हैं. इस शब्द का पहला उपयोग 2002 में गुजरात दंगों के बाद किया गया था. विकीपीडिया के मुताबिक, भगवा आतंकवाद शब्द का प्रथम उपयोग 2002 में फ्रंटलाइन नामक अंग्रेजी पत्रिका के लेख में किया गया था, जिसमें गुजरात दंगों का उल्लेख किया गया था. लेकिन इस शब्द का अधिक प्रयोग 2008 के मुंबई के मालेगांव धमाके के बाद हुआ, क्योंकि धमाके से जुड़े व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था, जो किसी हिंदू संगठन से संबंधित थे.

भगवा आतंकवाद शब्द कई राजनीतिक और सामाजिक समूहों के बीच चर्चा का विषय रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि इस शब्द का उपयोग किसी खास समूह को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है और यह राजनीतिक विरोध में इस्तेमाल हो रहा है। कुछ लोगों का विचार है कि यह शब्द भ्रामक है, क्योंकि भगवा सिर्फ हिंदू धर्म के ही नहीं, बल्कि बौद्ध और अन्य धर्मों के द्वारा भी मान्यता प्राप्त है।

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