NISAR उपग्रह जो पृथ्वी की सतह पर होने वाले छोटे-से-छोटे बदलावों की निगरानी करेगा। यह भूकंप, भूस्खलन, बर्फ पिघलने, समुद्री स्तर बढ़ने जैसी आपदाओं की पहले से चेतावनी देने में मदद करेगा।
भारत और पूरी दुनिया के लिए 30 जुलाई एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब NASA और ISRO की संयुक्त परियोजना NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे हुआ, जिसे भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में एक बड़ी छलांग के रूप में देखा जा रहा है.
ISRO और नासा की साझेदारी में बना NISAR सैटेलाइट NISAR यानी NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar एक खास सैटेलाइट है, जिसे भारत की ISRO और अमेरिका की NASA ने मिलकर तैयार किया है. इसका उद्देश्य धरती की सतह का बहुत बारीकी से निरीक्षण करना है ताकि हमारी पृथ्वी पर हो रही जटिल प्रक्रियाओं को समझा जा सके. यह सैटेलाइट जंगलों में हो रहे बदलाव, बर्फ की चादरों का टूटना, समुद्र के जलस्तर का बढ़ना, भूजल की कमी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी स्थितियों की निगरानी करेगा.
धरती की सतह में 1 सेंटीमीटर का भी बदलाव पकड़ सकेगा NISAR का रडार तकनीक के लिहाज़ से अंतरिक्ष में अपनी तरह का पहला यंत्र है, जो बेहद सटीकता से काम करेगा. यह पूरे पृथ्वी की सतह को एक सिस्टमेटिक तरीके से स्कैन करेगा और ऐसे बदलावों को भी मापेगा जो केवल 1 सेंटीमीटर के बराबर होंगे. इसका मतलब है कि यह सैटेलाइट हमें पहले से ही प्राकृतिक आपदाओं के संकेत दे सकता है और समय रहते चेतावनी दी जा सकती है.