Thursday, July 31, 2025
spot_img

Latest Posts

भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, घरेलू मांग और आपूर्ति में वृद्धि से मिल रहा सहारा

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में घरेलू स्तर पर मांग और आपूर्ति मजबूत रही है, साथ ही महंगाई भी एक सीमित दायरे में रही और मानसून भी तेजी से प्रगति कर रहा है। इससे वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही की शुरुआत में हम अधिक मजबूत स्थिति में हैं। यह जानकारी वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई। हाल ही में जारी हुई अपनी मासिक रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत का आर्थिक आधार मजबूत बना हुआ है। मजबूत घरेलू मांग, राजकोषीय विवेकशीलता और मौद्रिक समर्थन के कारण देश सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एस एंड पी, आईसीआरए और आरबीआई के व्यावसायिक पूर्वानुमानकर्ताओं के सर्वेक्षण सहित विभिन्न पूर्वानुमानकर्ताओं ने वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के वित्तीय बाजारों ने घरेलू निवेशकों की अधिक भागीदारी के कारण मजबूती दिखाई है। बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति भी मजबूत बनी हुई है क्योंकि बैंकों ने अपनी पूंजी और तरलता भंडार को मजबूत करते हुए अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार किया है।
रिपोर्ट में कहा गया, “इन सुधारों के चलते अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (जीएनपीए) अनुपात और नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) अनुपात कई दशकों के निचले स्तर क्रमशः 2.3 प्रतिशत और 0.5 प्रतिशत पर है।”
वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक गतिविधि को मजबूत घरेलू मांग, सेवाओं में मजबूत वृद्धि और मैन्युफैक्चरिंग एवं कृषि से उत्साहजनक संकेतों का समर्थन प्राप्त हुआ।
कृषि गतिविधियों को अनुकूल दक्षिण-पश्चिम मानसून से महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला, जो समय से पहले आ गया और अब तक सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। उर्वरक की उपलब्धता और जलाशयों का स्तर पर्याप्त से अधिक है, जो खरीफ की बुवाई और कटाई और परिणामस्वरूप ग्रामीण आय और मांग के लिए एक मजबूत संभावना का संकेत देता है।
रिपोर्ट में कहा गया, “कृषि क्षेत्र का स्थिर प्रदर्शन व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए एक स्थिर स्तंभ के रूप में कार्य करता रहेगा और ग्रामीण परिदृश्य को मजबूत करेगा। नाबार्ड के ग्रामीण भावना सर्वेक्षण के अनुसार, 74.7 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों को आने वाले वर्ष में आय वृद्धि की उम्मीद है, जो सर्वेक्षण की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है।”
इसमें आगे कहा गया है कि 2025 के मध्य में भारतीय अर्थव्यवस्था सतर्क आशावाद की तस्वीर पेश करती है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भू-राजनीतिक तनाव और नहीं बढ़ा है, लेकिन वैश्विक मंदी, विशेष रूप से अमेरिका में (जो 2025 की पहली तिमाही में 0.5 प्रतिशत घटी), भारतीय निर्यात की मांग को और कम कर सकती है। अमेरिकी टैरिफ के मोर्चे पर जारी अनिश्चितता आने वाली तिमाहियों में भारत के व्यापार प्रदर्शन पर भारी पड़ सकती है। धीमी ऋण वृद्धि और निजी निवेश की इच्छा आर्थिक गति में तेजी को सीमित कर सकती है।

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.