नई दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बुधवार को राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जारी चर्चा के दौरान पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की। साथ ही उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा। उन्होंने कहा कि देश में राजनीतिक नेतृत्व बहुत अहम है। पिछली सरकार में भारत-पाकिस्तान के बीच आतंक, व्यापार और पर्यटन चलता रहा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा, “21 जुलाई को जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई थी, तो उस दौरान मैंने कहा था कि हम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के लिए तैयार हैं। पहलगाम हमला बहुत ही दुखदायी है और मानवता को झकझोर देने वाला है। इस घटना की जितनी निंदा की जाए, वह बहुत कम है। हमें मालूम है कि पहलगाम के हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक ने अपनी जान गंवाई। हम इस घटना की पूरजोर निंदा करते हैं। साथ ही यह भी बताना चाहते हैं कि जिस दिन पहलगाम में घटना घटित हुई, उसके तुरंत बाद शाम पांच बजे गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में पहुंच गए थे। इसके अलावा, पीएम मोदी सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर भारत आए और कैबिनेट सुरक्षा कमेटी की बैठक की।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार इस मुद्दे पर संवेदनशील है। पीएम मोदी ने कल लोकसभा में इस मुद्दे पर विस्तार से अपनी बात रखी है। मैं यहां बताना चाहता हूं कि इस ऑपरेशन के तहत जो कार्रवाई की गई है, इसके लिए हम भारतीय सेना को सलाम करते हैं। मैं सदन के माध्यम से बताना चाहता हूं कि देश में राजनीतिक नेतृत्व बहुत अहम होता है, क्योंकि यह राजनीतिक नेतृत्व ही है जो सशस्त्र बलों को आदेश देता है।”
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “तत्कालीन सरकार ने 2005 के दिल्ली सीरियल बम विस्फोटों, 2006 के वाराणसी आतंकी हमले, और 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम विस्फोटों में कोई कार्रवाई नहीं की। मुद्दा यह है कि उस दौर में भारत और पाकिस्तान के बीच आतंक, व्यापार और पर्यटन- तीनों चलते रहे।”
उन्होंने आगे कहा, “हमें उनकी (तत्कालीन कांग्रेस सरकार की) तुष्टिकरण की सीमा समझने की जरूरत है कि 2008 में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा जयपुर में किए गए बम धमाकों के बाद भारत और पाकिस्तान एक विशिष्ट विश्वास-निर्माण उपाय पर सहमत हुए। वे हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उनको बिरयानी खिलाते रहे। उन्होंने नियंत्रण रेखा पार करने के लिए ट्रिपल-एंट्री परमिट की अनुमति दे दी। हमारे पास वही पुलिस और सेना थी, लेकिन कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। 2009 के एससीओ शिखर सम्मेलन में 2008 में हुए इतने बड़े आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं हुआ।”