Monday, June 23, 2025
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फतेहपुर में ग्रामसभा की जमीन पर माफिया राज, जीरो टॉलरेंस नीति को चुनौती?

फतेहपुर, (उत्तर प्रदेश ) । जहाँ एक ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भू-माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और “बुलडोजर मॉडल” के लिए जाने जाते हैं, वहीं फतेहपुर जिले के सराय सईद खां गांव से सामने आई एक घटना ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली और उनकी जीरो टॉलरेंस नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जे, फर्जी सीमांकन, और हिंसक हमले की घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमें स्थानीय माफिया और कुछ अधिकारियों की कथित मिलीभगत शामिल है। यह मामला न केवल प्रशासनिक निष्क्रियता को उजागर करता है, बल्कि योगी सरकार की भ्रष्टाचार-मुक्त शासन की प्रतिबद्धता को भी कटघरे में खड़ा करता है।


सामाजिक कार्यकर्ता मिर्जा रिजवान आलम ने जिलाधिकारी को दिए अपने शिकायती पत्र में बताया कि वे ग्रामसभा की जमीन (गाटा संख्या 254, 255) को अवैध कब्जे से बचाने की कोशिश कर रहे थे। इसके लिए 30 अप्रैल 2025 को नायब तहसीलदार की मौजूदगी में विधिवत नाप-जोख हुई, जिसके बाद स्पॉट मेमो और नक्शा भी तैयार किया गया। लेकिन इसके बाद कुछ स्थानीय दबंगों ने कथित तौर पर साजिश रची और नाप को बदलवाकर फर्जी सीमांकन करा लिया।
आरोप है कि मिर्जा फरहान बेग उर्फ बंटा, मिर्जा सूफियान बेग उर्फ छोटा डॉन, सलमान पुत्र मोहम्मद सलाम खान और उनके सहयोगियों ने ट्रैक्टर से सरकारी मेड़बंदी तोड़ दी। इस दौरान जब मिर्जा रिजवान तोड़फोड़ की वीडियो रिकॉर्ड कर रहे थे, तब उनके मानसिक रूप से अस्वस्थ भाई सिकंदर मिर्जा पर धारदार हथियार से हमला किया गया। सौभाग्यवश, सिकंदर की जान बच गई, लेकिन हमलावरों ने उल्टे पीड़ितों के खिलाफ झूठी FIR दर्ज करा दी, ताकि उन्हें कानूनी रूप से परेशान किया जा सके।
मामला यहीं नहीं रुका। सामाजिक कार्यकर्ता मिर्जा रिजवान आलम के अनुसार, सलमान को गांव में उनके घर के पिछले रास्ते की रेकी करते और वीडियोग्राफी करते हुए यह कहते सुना गया, “इसकी सुपारी दे दो, बहुत जल्द मारा जाएगा।” यह धमकी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत के रूप में दर्ज है। इसके बावजूद, अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत और प्रशासन के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है।


इस मामले ने स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर कई सवाल उठाए हैं। पहला सवाल ये है कि
दोबारा नाप का आदेश किसने दिया? पहली नाप उच्चस्तरीय और विधिवत थी, तो बिना सूचना के दोबारा नाप क्यों और किसके आदेश पर कराई गई?
ग्राम प्रधान या संबंधित पक्षों को क्यों नहीं सूचित किया गया? क्या यह प्रक्रिया पारदर्शी थी?
तोड़फोड़ की अनदेखी क्यों? नाप के तुरंत बाद सरकारी मेड़बंदी तोड़ना कानूनगो के “यथास्थिति” बनाए रखने के निर्देश की अवहेलना नहीं है?
क्या यह पूर्वनियोजित साजिश थी? क्या स्थानीय अधिकारी माफियाओं के साथ मिले हुए हैं?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “भ्रष्टाचार और माफिया मुक्त उत्तर प्रदेश” की नीति को स्थानीय स्तर पर चुनौती मिल रही है। यह मामला दर्शाता है कि कुछ अधिकारी और माफिया तत्व मिलकर सरकारी जमीन पर कब्जे और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे सरकार की छवि को नुकसान पहुँच रहा है। ग्रामीणों में डर का माहौल है, और प्रशासन की चुप्पी इस डर को और बढ़ा रही है।
मिर्जा रिजवान ने प्रशासन से निम्नलिखित माँगें की हैं:
पहली नाप को वैध मानकर जमीन को कब्जा मुक्त कराया जाए।
भाई पर हुए हमले की FIR दर्ज हो।
परिवार को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए।
झूठी FIR की निष्पक्ष जाँच हो।
नाप प्रक्रिया की उच्चस्तरीय जाँच कर दोषियों को चिन्हित किया जाए।
जमीन की यथास्थिति बनाए रखने के लिए सशक्त निगरानी व्यवस्था हो।
सामाजिक कार्यकर्ता मिर्जा रिजवान आलम का कहना है कि वे ग्रामसभा की जमीन को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके अनुसार, स्थानीय माफिया और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से उनकी और उनके परिवार की जान को खतरा है। वे निष्पक्ष जाँच और सुरक्षा की माँग कर रहे हैं।
उधर मिर्जा फरहान बेग, मिर्जा सूफियान बेग, और सलमान पर अवैध कब्जे, हिंसा, और धमकी देने के आरोप हैं। हालांकि, उन्होंने रिजवान के खिलाफ FIR दर्ज कराई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे स्वयं को पीड़ित बता रहे हैं। इस पक्ष से अभी तक कोई सार्वजनिक बयान सामने नहीं आया है।
प्रशासन ने अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिससे उनकी निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज होने के बावजूद कार्रवाई में देरी से ग्रामीणों में नाराजगी है।
यह मामला केवल एक जमीन के कब्जे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति और स्थानीय प्रशासन की विश्वसनीयता का भी सवाल है। यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह जनता के बीच अविश्वास को और गहरा सकता है। सवाल यह है कि क्या जिलाधिकारी इस प्रकरण को गंभीरता से लेंगे? क्या दोषी अधिकारियों और माफियाओं पर कार्रवाई होगी? और सबसे अहम, क्या मिर्जा रिजवान और उनके परिवार को न्याय और सुरक्षा मिलेगी?
फतेहपुर का यह मामला उत्तर प्रदेश में भू-माफियाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई की एक कठिन परीक्षा है। योगी सरकार की नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए स्थानीय प्रशासन को तत्काल और पारदर्शी कार्रवाई करनी होगी। यह समय है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाए, ताकि ग्रामसभा की जमीनें सुरक्षित रहें और आम नागरिकों को न्याय मिले।

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