Monday, June 23, 2025
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विझिनजाम बंदरगाह का मोदी ने किया उद्घाटन, मंच पर दिखे थरूर, प्रधानमंत्री बोले- इस कार्यक्रम से कई लोगों की उड़ेगी नींद

तिरुवनंतपुरम । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के तिरुवनंतपुरम में 8,900 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित ‘विझिनजाम इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट’ राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी मौजूद रहे। केरल सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत विकसित किया गया है।

विझिनजाम बंदरगाह का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “एक तरफ विशाल समुद्र है, जिसमें अनेक अवसर हैं और दूसरी तरफ प्रकृति की सुंदरता है, इन दोनों के बीच यह ‘विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय गहरे पानी वाला बहुउद्देशीय बंदरगाह’ है, जो नए युग के विकास का प्रतीक है। इस बंदरगाह का निर्माण 8,800 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और निकट भविष्य में इसके ट्रांसशिपमेंट हब की क्षमता तीन गुनी हो जाएगी। इसे बड़े मालवाहक जहाजों को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करता है। अब तक, भारत की 75% ट्रांसशिपमेंट गतिविधियां विदेशी बंदरगाहों पर संचालित की जाती थीं, जिसके परिणामस्वरूप देश को राजस्व का बड़ा नुकसान होता था। हालांकि, यह बदलने वाला है। पहले विदेशों में खर्च किए जाने वाले धन को अब घरेलू विकास में लगाया जाएगा, जिससे विझिनजाम और केरल के लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा होंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि देश की संपत्ति सीधे अपने नागरिकों को लाभान्वित करे।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि गुलामी से पहले हमारे भारत ने हजारों वर्ष की समृद्धि देखी है। एक समय वैश्विक जीडीपी में मेजर शेयर भारत का हुआ करता था। उसमें केरल का बड़ा योगदान था। उस समय भारत को अन्य देशों से अलग करने वाली बात थी, इसकी प्रभावशाली समुद्री क्षमताएं और इसके बंदरगाह शहरों में संपन्न आर्थिक गतिविधियां। केरल ने इस सफलता में विशेष भूमिका निभाई। भारत सरकार ने, राज्य सरकार के सहयोग से सागरमाला परियोजना के तहत पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया है। पोर्ट कनेक्टिविटी को भी बढ़ाया है। पीएम-गतिशक्ति के तहत जलमार्गों, रेलवे, राजमार्गों और वायुमार्गों की अंतर-कनेक्टिविटी को तेज गति से बेहतर बनाया जा रहा है। बंदरगाह अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता का एहसास तब होता है, जब बुनियादी ढांचे के विकास और व्यापार करने में आसानी को प्राथमिकता दी जाती है और बढ़ावा दिया जाता है। पिछले एक दशक में, यह दृष्टिकोण सरकार की बंदरगाह और जलमार्ग नीतियों की आधारशिला रहा है। औद्योगिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने और राज्य के समग्र विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वहीं आज भगवान आदि शंकराचार्य जी की जयंती है। तीन वर्ष पूर्व सितंबर में मुझे उनके जन्मभूमि क्षेत्र में जाने का सौभाग्य मिला था। केरल से निकलकर देश के अलग-अलग कोनों में मठों की स्थापना करके आदि शंकराचार्य जी ने राष्ट्र की चेतना को जागृत किया। इस पुनीत अवसर पर मैं उन्हें नमन करता हूं।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने राज्य सरकार के साथ मिलकर सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण किया है और बंदरगाहों की कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार किया है। इसके अतिरिक्त, पीएम-गतिशक्ति पहल के तहत जलमार्ग, रेलवे, राजमार्ग और वायुमार्गों की अंतर्संबंधता बढ़ाने के प्रयास तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। व्यापार करने में आसानी के लिए किए गए सुधारों से बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अधिक निवेश हुआ है। भारत सरकार ने देश के नाविकों के लाभ के लिए महत्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। 2014 में भारत में नाविकों की संख्या 1.25 लाख से भी कम थी। हालाँकि, अब यह संख्या बढ़कर लगभग 3.25 लाख हो गई है। परिणामस्वरूप, भारत वर्तमान में दुनिया भर में सबसे अधिक नाविकों वाले शीर्ष तीन देशों में शुमार है। एक दशक की कड़ी मेहनत और दूरदर्शी योजना ने भारत की उल्लेखनीय सफलता में योगदान दिया है। पिछले 10 वर्षों में, हमने अपने बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना कर दिया है और अपने जलमार्गों का आठ गुना विस्तार किया है। आज, हमारे दो बंदरगाह दुनिया के शीर्ष 30 बंदरगाहों में शुमार हैं। इसके अतिरिक्त, लॉजिस्टिक्स परफॉरमेंस इंडेक्स पर हमारी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। भारत अब गर्व से वैश्विक जहाज निर्माण में शीर्ष 20 देशों में शामिल है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि बुनियादी ढांचे का निर्माण सीधे व्यापार को बढ़ाने में योगदान देता है और आम नागरिक की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करता है – यही सच्चे विकास का सार है। पिछले दशक में, बंदरगाह विकास से परे बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसमें राजमार्गों, रेलवे और हवाई अड्डों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कोल्लम बाईपास और अलपुझा बाईपास जैसी लंबे समय से लंबित परियोजनाएं, जो वर्षों से देरी का सामना कर रही थीं, भारत सरकार के तहत सफलतापूर्वक पूरी हुई। इसके अतिरिक्त, केरल में आधुनिक वंदे भारत ट्रेनें शुरू की गई हैं, जो क्षेत्र की कनेक्टिविटी और आधुनिकीकरण को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

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