प्रवचन के आरोपों पर हाईकोर्ट ने मांगे दोनों पक्षों से हलफनामे, कहा- मेडिकल ग्राउंड दोबारा जांचने की जरूरत नहीं

जोधपुर। मणाई आश्रम में नाबालिग से रेप के दोषी आसाराम को एक बार फिर राहत मिल गई है। राजस्थान हाईकोर्ट ने उसकी अंतरिम जमानत की अवधि 1 जुलाई तक बढ़ा दी है। यह राहत उसे सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट से पहले ही मिले बेल ग्राउंड के आधार पर दी गई है।
हाईकोर्ट की जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की शर्तें जस की तस लागू रहेंगी।
पीड़िता के वकील पीसी सोलंकी ने आरोप लगाया कि आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई शर्तों का उल्लंघन करते हुए प्रवचन किए हैं। इसके जवाब में आसाराम की ओर से वकील निशांत बोड़ा ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरकार की ओर से पेश जांच रिपोर्ट में भी प्रवचन की पुष्टि नहीं हुई, सिर्फ साधकों से मिलने की बात सामने आई।
आसाराम की अंतरिम जमानत 31 मार्च को खत्म हुई थी। उसने 1 अप्रैल को जोधपुर जेल में सरेंडर किया और उसी रात 11:30 बजे प्राइवेट अस्पताल आरोग्यम में भर्ती हो गया। 3 अप्रैल को एम्स में चेकअप के बाद वह दोबारा उसी अस्पताल लौट गया और अब तक वहीं भर्ती है।
इससे पहले 28 मार्च को गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम को मेडिकल आधार पर तीन महीने की अंतरिम जमानत दी थी। उसी के तहत राजस्थान हाईकोर्ट में भी बेल बढ़ाने का आवेदन दिया गया था। कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा की गई मेडिकल जांच को ही पर्याप्त मानते हुए दोबारा जांच की जरूरत नहीं मानी।
दो राज्यों में उम्रकैद की सजा
जोधपुर केस : 2 सितंबर 2013 को आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। 25 अप्रैल 2018 को उसे उम्रकैद की सजा हुई।
गांधीनगर केस : 31 जनवरी 2023 को महिला शिष्या से रेप मामले में भी आजीवन कारावास की सजा मिली। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट ने उसे अंतरिम जमानत दी हुई है।