सनातन संस्कृति को मिला नया आयाम
देश के बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं ने इस कदम का किया स्वागत
राजस्थान की भजनलाल सरकार ने प्रदेश के सांस्कृतिक उत्थान की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए यह निर्णय लिया है कि अब राजस्थान दिवस प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के इस फैसले को प्रदेश की संस्कृति और परंपरा को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
साधु-संतों और धर्मगुरुओं ने किया स्वागत देशभर में सनातन परंपरा से जुड़े साधु-संतों और धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के इस निर्णय की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने इसे सनातन संस्कृति को मज़बूत करने की दिशा में एक प्रभावी कदम बताया है।
देशभर के विभिन्न धार्मिक गुरुओं ने भजनलाल सरकार की इस पहल का स्वागत किया है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बाबा बागेश्वर धाम सरकार) ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को राजस्थान दिवस मनाए जाने को सनातन परंपरा को प्रतिष्ठित करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
कथावाचक मृदुल कृष्ण शास्त्री और गौरव मृदुल जी ने भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर राजस्थान दिवस मनाने को स्वागतयोग्य कदम बताया है।
इसी तरह आध्यात्मिक गुरु और उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महराज और परमार्थ निकेतन हरिद्वार के संत निरंजन स्वामी ने भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर राजस्थान दिवस मनाने के निर्णय को भजनलाल सरकार का सनातन संस्कृति उत्थान की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा राजस्थान के सांस्कृतिक उत्थान का बीड़ा उठाना और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर राजस्थान दिवस मनाने का निर्णय लेना सनातन परंपरा को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
75 वर्ष बाद ऐतिहासिक त्रुटि का सुधार
वर्ष 1949 में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने विभिन्न रियासतों को मिलाकर नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन वृहद् राजस्थान की स्थापना की थी। 75 वर्ष बाद अब उसी दिन राजस्थान दिवस मनाने का निर्णय लिया गया, जिससे यह ऐतिहासिक त्रुटि दूर हो गई।
संतों में उत्साह, सांस्कृतिक उत्थान को मिलेगी गति
भजनलाल सरकार के इस फैसले से प्रदेश के संत समाज और धर्मगुरुओं में खुशी की लहर है। यह निर्णय राजस्थान की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने में सहायक साबित होगा।
समृद्ध राजस्थान की ओर एक कदम
संस्कृति हमारी पहचान, परंपरा हमारी जड़ें और विरासत हमारा गौरव है। इन्हीं मूल्यों के संरक्षण की दिशा में भजनलाल सरकार का यह फैसला राजस्थान के सांस्कृतिक उत्थान को नया आयाम देगा।