
चण्डीगढ़- पंजाब के 12 जिलों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा खतरे के निशान से ऊपर पाई गई है। इससे कैंसर और त्वचा संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
इसके अलावा 20 जिलों में नाइट्रेट की मात्रा भी तय सीमा से अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने यह रिपोर्ट लोकसभा में पेश की है। इस रिपोर्ट ने पंजाब सरकार की चिंता बढ़ा दी है। सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट के अनुसार अमृतसर, फाजिल्का, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, कपूरथला, श्री मुक्तसर साहिब, पठानकोट, पटियाला, रूपनगर, मोहाली और तरनतारन जिलों में आर्सेनिक की मात्रा 10 पीपीबी से अधिक पाई गई है। प्रदेश में 908 सैंपल जांचे गए, जिसमें 4.8 प्रतिशत सैंपल फेल रहे हैं। आर्सेनिक के कारण त्वचा का कैंसर, फेफड़े, आमाशय और गुर्दे का कैंसर हो सकता है।
वहीं, प्रदेश के 20 जिलों में नाइट्रेट की मात्रा 45 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है। बठिंडा जिला नाइट्रेट से सबसे अधिक प्रभावित है। नाइट्रेट की मात्रा जानने के लिए 922 सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 116 सैंपल (12.58 प्रतिशत) फेल पाए गए हैं। नाइट्रेट के कारण नवजात शिशुओं में ब्लू बेबी सिंड्रोम और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
26.57 फीसदी पानी सिंचाई के लायक नहीं
पंजाब के 26.57 फीसदी पानी में अवशिष्ट सोडियम कार्बोनेट (आरएससी) की मात्रा अधिक है, जिससे यह सिंचाई के लिए अयोग्य हो गया है। आरएससी की अधिक मात्रा फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है।
बचाव के उपाय
पानी की नियमित जांच और शुद्धिकरण आवश्यक है। किसानों को रासायनिक खादों का कम उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को पानी के महत्व और प्रदूषण के खतरों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।