
पंकज सिंगटा/शिमला: शिमला में जहां जनवरी माह में बर्फ की सफेद चादर बिछ जाया करती थी, वहीं 2 वर्षों से शिमला जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है. पर्यटक बर्फबारी की आस लिए शिमला तो पहुंच रहे हैं, लेकिन मायूस चेहरों के साथ लौट रहे हैं. इससे जहां पर्यटन कारोबार पर असर पड़ रहा है वहीं हिमाचल की आर्थिकी पर भी आने वाले दिनों में इसका असर देखने को मिल सकता है. साथ ही बदलते मौसम का असर बागवानी और किसानी पर भी पड़ सकता है.
शिमला के लोग भी बर्फ की आस लिए बैठे हैं, लेकिन लगता है उन्हें इस वर्ष भी हताश ही होना पड़ेगा. मौसम विभाग की मानें तो यह पूरा महीना ही ड्राई रहने वाला है और फिलहाल शिमला में बर्फबारी के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इस कारण होटलों और होम स्टे की ऑक्यूपेंसी में भी काफी ज्यादा गिरावट देखने को मिल रही है, जो ऑक्यूपेंसी जनवरी माह में अमूमन 70 से 80 फीसदी हुआ करती थी, वो अब घट कर 20 से 30 प्रतिशत ही रह चुकी है. रिज मैदान, मॉल रोड सहित अन्य पर्यटन स्थल सूने पड़े हैं.
किसानों-बागवानों को सता रहा डर
बारिश और बर्फबारी न होने की मार जहां पर्यटन कारोबार पर पड़ी तो वहीं आने वाले समय में बागवानों और किसानों को भी इसकी मार झेलनी पड़ सकती है. यदि बारिश और बर्फबारी नहीं होती है तो सेब के चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हो पाएंगे, जिससे इस बार भी सेब उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. कुछ वर्षों से भी सेब कारोबार अच्छा नहीं रहा है और यदि मौसम ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में भी सेब कारोबार पर इसका असर देखने को मिलेगा. बता दें कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में सेब 5 हजार करोड़ की भागीदारी देता है, यदि सेब की फसल अच्छी नहीं होती है तो निश्चित तौर पर हिमाचल की आर्थिकी पर इसका बुरा असर पड़ेगा.