Thursday, July 24, 2025
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Seasonal Illness: हर साल बढ़ रहा है मौसमी बीमारियों का प्रकोप, बीते 3 साल में 150 पर्सेंट बढ़े इंश्योरेंस के क्लेम

Medical Insurance Claim: साल दर साल मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है और उसके साथ ही बीमारियों के इलाज के खर्च भी बढ़ रहे हैं, जिससे ज्यादा मेडिकल क्लेम सामने आ रहे हैं…

हालिया सालों में मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है और इसके चलते लोगों का इलाज पर खर्च भी बढ़ा है. यही कारण है कि लोग अब मौसमी बीमारियों के लिए ज्यादा इंश्योरेंस क्लेम कर रहे हैं. बीमा से जुड़ी ऑनलाइन सेवाएं देने वाली कंपनी पॉलिसी बाजार की एक हालिया रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली है.

इलाज का खर्च बढ़ने से क्लेम में आई तेजी

पॉलिसी बाजार की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 3 सालों में मौसमी बीमारियों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम करने वाले लोगों की संख्या में 150 फीसदी की तेजी आई है. लोगों के द्वारा ज्यादा मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम करने का मतलब है कि ऐसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है और उनके इलाज में लोगों का खर्च भी बढ़ गया है.

मौसमी बीमारियों पर इतना बढ़ गया खर्च

रिपोर्ट की मानें तो डेंगू और मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों के इलाज में लोगों का खर्च 1.5 लाख रुपये तक पहुंच जा रहा है. वहीं गैस्ट्राएंटिरायटिस जैसी बीमारी के इलाज में खर्च 1.8 लाख रुपये तक पहुंच रहा है. ये बीमारियां हालिया सालों में किस कदर बढ़ी हैं, उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि पीक सीजन में यानी जब इन बीमारियों का प्रकोप चरम पर रहता है, उस समय हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े टोटल क्लेम में सिर्फ इन बीमारियों का हिस्सा 35 से 40 फीसदी तक रहता है.

सबसे ज्यादा ऐसे मामलों के लिए क्लेम

डेंगू-मलेरिया समेत अन्य मौसमी बीमारियों के लिए जो बीमाधारक मेडिकल इंश्योरेंस में क्लेम लगाते हैं, उनमें से आधे से ज्यादा एंटीवायरल और एंटीबायोटिक्स जैसी दवाओं के प्रेसक्रिप्शन के लिए होते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, उनका अनुपात करीब 50-60 फीसदी रहता है. वहीं ओपीडी विजिट के चलते 30 से 40 फीसदी क्लेम आते हैं. 15-20 फीसदी क्लेम अस्पताल में भर्ती होने के गंभीर मामलों के रहते हैं.

इन 5 बीमारियों में आ रहे हैं सबसे ज्यादा क्लेम

पॉलिसी बाजार की रिपोर्ट बताती है कि जिन 5 मौसमी बीमारियों में लोग सबसे ज्यादा इलाज करा रहे हैं और मेडिकल इंश्योरेंस में क्लेम लगा रहे हैं, उनमें गंदे पानी के चलते होने वाली बीमारी गैस्ट्रोएंटिरायटिस (स्टमक फ्लू) की हिस्सेदारी 18 फीसदी रहती है. इसके इलाज में लोगों के 50 हजार रुपये से 1 लाख 80 हजार रुपये तक खर्च हो रहे हैं. वहीं मच्छरों के कारण होने वाली डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों के चलते 15 फीसदी क्लेम आ रहे हैं. ब्रॉनचाइटिस के चलते 12 फीसदी क्लेम और इंफ्लुएंजा के चलते 20 फीसदी क्लेम आ रहे हैं.

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