अपनी अदाकारी और सादगी से ये एक्टर दिल जीत लेता है लेकिन इस अभिनेता की लाइफ में एक ऐसा भी मोड़ आया था जब इन्होंने बॉलीवुड छोड़ ढाबे में काम करना शुरू कर दिया था.

ग्लैमर और चकाचौंध से भरी बॉलीवुड की दुनिया हर किसी को अट्रैक्ट करती है. हर रोज कितने ही लोग इस इंडस्ट्री में काम करने का सपना लिए मायानगरी मुंबई आते हैं. कुछ अपनी मंजिल पा लेते हैं तो कुछ असफल होकर घर लौट जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे एक्टर के बारे में बताएंगें जिन्होने काफी संघर्ष के बाद इंडस्ट्री में जगह बनाई लेकिन फिर इनका बॉलीवुड से मोह सा भंग हो गया. इसके बाद इस अभिनेता ने महज 150 रुपये की दिहाड़ी पर ढाबे पर काम करना शुरू कर दिया. हालांकि फिर इस एक्टर ने कमबैक किया और कई शानदार फिल्में की.

ये अभिनेता कोई और नहीं संजय मिश्रा हैं. संजय का जन्म 1963 में बिहार के दरभंगा में हुआ था. वाराणसी से अपनी एजुकेशन पूरी करने के बाद, मिश्रा ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला लिया और 1989 में वहां से ग्रेजुएशन की डिग्री ली.
संजय मिश्रा ने एक प्रोफेशनल एक्टर के तौर पर करियर के पहले कुछ सालों में काफी स्ट्रगल किया था. उन्हें केवल विज्ञापन और टीवी शो में छोटे-मोटे रोल ही मिलते थे.
संजय को फिल्मों में पहला ब्रेक 1995 में शाहरुख खान-स्टारर ‘ओह डार्लिंग ये है इंडिया!’ से मिला था. इसके बाद उन्होंने ‘सत्या’ और ‘दिल से’ में भी काम किया. हालांकि उन्होंने 1999 क्रिकेट विश्व कप के टीवी अभियान में एप्पल सिंह के रोल में पहचान मिली. इसके बाद उन्हें सिटकॉम ऑफिस ऑफिस में सपोर्टिंग रोल मिला.

इसके बाद संजय मिश्रा ने कई फिल्मों में काम किया. इनमें गोलमाल, बंटी और बबली, ऑल द बेस्ट सहित कई कॉमेडी फिल्मों में काम किया. साल 2014 में, मिश्रा को फिल्म आँखों देखी में पहला लीड रोल मिला था.
2000 के दशक में संजय मिश्रा का करियर अच्छा चल रहा था और वह कुछ बड़ी कमर्शियल फिल्मों में काम कर रहे थे लेकिन इसी दौरान एक्टर को पर्सनल जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा था.
दरअसल संजय मिश्रा के पिता का निधन हो गया था जिससे बाद उनका मोहभंग हो गया. न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में, संजय मिश्रा ने खुलासा किया कि उस समय, उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और ऋषिकेश की यात्रा की, जहां उन्होंने घाट के पास एक ढाबे पर काम किया था.
एक्टर ने बताया था कि उस दौरान उन्हें 150 रुपये के वेतन पर हर दिन 50 कप धोते होते थे. अभिनेता ने कहा कि उन्होंने अपनी आंतरिक शांति के लिए ऐसा किया. हालांकि कुछ टाइम बाद वह मुंबई लौट आए और कुछ हफ्ते बाद फिर से फिल्मों से जुड़ गए.

पिछले कुछ सालों में संजय मिश्रा ने सपोर्टिंग रोल में बड़े बजट की फिल्मों में भी काम किया है, लेकिन मुख्य भूमिका में कई फिल्में भी की हैं, जिनमें वध और कामयाब शामिल हैं, दोनों 2020 के बाद रिलीज हुई. इस दौरान, वह भक्षक, भोला, सर्कस, और भूल भुलैया 2 जैसी फिल्मों में सहायक भूमिकाओं में भी दिखाई दिए.