Saturday, November 16, 2024
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सलमान खान नहीं, ‘मुंबई अंडरवर्ल्ड’ है असली वजह… हैरान कर देगी बाबा सिद्दीकी के कत्ल की इनसाइड स्टोरी

Baba Siddiqui Murder Case: पिछले 48 घंटो की तफ्तीश के बाद पकड़े गए और फरार आरोपियों की मुंबई पुलिस ने जो कड़ियां जोड़ी हैं. वो फिलहाल यही इशारा कर रही हैं कि इसके पीछे लॉरेंस गैंग का हाथ हो सकता है. मुंबई पुलिस को ऐसा क्यों लगता है आइए समझते हैं.

14 जुलाई को मुंबई की मकोका कोर्ट में मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 1736 पन्नों की एक चार्जशीट दाखिल की थी. ये चार्जशीट 14 अप्रैल को बॉलीवुड एक्टर सलमान खान के घर गैलेक्सी अपार्टमेंट पर हुए शूटआउट को लेकर थी. इस चार्जशीट में कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई सहित कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इसमें एक जगह क्राइम ब्रांच ने लिखा था कि सलमान को धमकी तो एक बहाना है. असल में लॉरेंस पूरे मुंबई पर राज करना चाहता है. वो मुंबई अंडरवर्ल्ड पर अपना कंट्रोल चाहता है. अब बाबा सिद्दीकी के कत्ल के बाद दो सवाल पूछे जा रहे हैं. पहला, क्या इस कत्ल के पीछे लॉरेंस गैंग है और दूसरा कि यदि वही है तो फिर बाबा सिद्दीकी को ही क्यों निशाना बनाया गया?

पिछले 48 घंटो की तफ्तीश के बाद पकड़े गए और फरार आरोपियों की मुंबई पुलिस ने जो कड़ियां जोड़ी हैं. वो फिलहाल यही इशारा कर रही हैं कि इसके पीछे लॉरेंस गैंग का हाथ हो सकता है. मुंबई पुलिस को ऐसा क्यों लगता है आइए समझते हैं. असल में बाबा सिद्दीकी के कत्ल की साजिश बुनने और उसे अंजाम देने के लिए पुलिस ने अब तक कुल 6 लोगों की शिनाख्त की है. इनके नाम गुरमैल सिंह, शिवकुमार गौतम, धर्मराज कश्यप, जीशान अख्तर, परवीन लोनकार और शुभम उर्फ शुबु लोनकार. इनमें से तीन गुरमैल सिंह, धर्मराज कश्यप और परवीन लोनकार फिलहाल पुलिस के कब्जे में हैं, जबकि बाकी तीन यानि जीशान, शिवकुमार और शुभम फरार हैं. पुलिस उनकी तलाश कर रही है.

पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में जो कहानी निकलकर सामने आई वो कुछ यूं है कि पंजाब के जालंधर के शकर गांव का रहने वाला जीशान अख्तर मर्डर और डकैती के केस में पटियाला जेल में बंद था. उसका अपना एक गैंग है. वो साल 2022 से जून 2024 तक पटियाला जेल में ही बंद था. यहीं उसकी मुलाकात लॉरेंस गैंग के कुछ गुर्गों से हुई. इसके अलावा जेल में रहने के दौरान ही उसकी मुलाकात गुरमैल सिंह से भी हुई. जो अपने बड़े भाई के कत्ल के इल्जाम में सजा काट रहा था. इसी साल 7 जून को जीशान जमानत पर जेल से बाहर आ गया. इसी दौरान गुरमैल भी जमानत पर जेल से बाहर आ चुका था. जीशान ने गुरमैल के घर कैथल जाकर उससे मुलाकात किया. इसके बाद मुंबई चला गया.

मुंबई पुलिस के मुताबिक पटियाला जेल में रहने के दौरान ही लॉरेंस गैंग के गुर्गों से बातचीत के बाद जीशान अख्तर को उसका मैसेज मिला. उसे टारगेट का नाम बताया गया. यह टारगेट कोई और नहीं बाबा सिद्दीकी ही थे. अब जीशान को शूटरों का इंतजाम करना था. लॉरेंस गैंग के काम करने के तरीके को देखते हुए. ऐसे शूटर चुने जाने थे जिनका कोई बड़ा क्रिमिनल बैंकग्राउंड ना हो और ना ही वो वॉटेंड हो. इसके बाद जीशान पुणे पहुंचा. वहां वो शुभम उर्फ शुबु लोनकार से मिला, जो कि पहले से ही लॉरेंस गैंग के लिए काम करता रहा है. पुणे में उसकी अपनी डेरी और तबेला है. उसके बराबर में एक कबाड़ का गोदाम है. उसी गोदाम में यूपी के बहराइच से आए धर्मराज कश्यप और शिवकुमार काम करते थे.

कैसे रची गई एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या की साजिश?

शुभम ने इन दोनों को पैसे का लालच देकर इस काम के लिए तैयार कर लिया. अब हैंडलर जीशान के पास तीन शूटर थे. गुरमैल, धर्मराज और शिवकुमार. जीशान ने ही मुंबई में इन तीनों के ठहरने का इंतजाम करवाया. मुंबई के कुर्ला इलाके में 14 हजार रुपए में किराए का एक फ्लैट लिया. इसमें ये तीनों रहा करते थे. ये फ्लैट 2 सितंबर को किराए पर लिया गया था. मुंबई आने के बाद अब तीनों का एक ही काम था. वो बांद्रा ईस्ट में बाबा सिद्दीकी की रेकी करना और ये पता लगाना कि वो कब-कब और कहां-कहां जाते हैं. किनसे मिलते हैं. कब घर पर होते हैं. कब बेटे जीशान सिद्दीकी के दफ्तर जाते हैं. कुर्ला से ये तीनों हमेशा ऑटो से बांद्रा आए करते थे. फिर दिन भर बाबा सिद्दीकी की हर मूवमेंट की टोह लेते थे

गुरमैल और धर्मराज के पास से 2 मोबाइल फोन भी मिले हैं. इनमे से एक सिर्फ कॉलिंग वाला मोबाइल था, जबकि दूसरे मोबाइल से मुंबई की बीच पर घूमते हुए इनकी तस्वीरें भी मिली हैं. रेकी के बाद दशहरे का दिन चुना गया. वजह ये थी कि उस दिन मूर्ति विसर्जन और गरबा कार्यक्रम में बाबा सिद्दीकी को हिस्सा लेना था. ऐसे ही एक गरबा कार्यक्रम से वो अपने बेटे जीशान के दफ्तर लौटे थे. तीनों लगातार बाबा सिद्दीकी का पीछा कर रहे थे. तीनों के पास ही पिस्टल थी. लेकिन बाबा पर फायरिंग सिर्फ गुरमैल सिंह ने की थी. उसने 6 गोलियां चलाईं, जिनमें से 3 गोली बाबा को लगी. तीनों उस रोज भी ऑटो से आए थे. चेहरा रुमाल से ढका हुआ था और गोली चलाने से पहले उन्होंने आसपास खड़े गार्ड के ऊपर मिर्च स्प्रे फेंका था.

क्या गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने ही बाबा सिद्दीकी की सुपारी दी?

इस वरदात के बाद गुरमैल सिंह और धर्मराज कश्यप मौके पर ही पकड़े गए, जबकि शिवकुमार भागने में कामयाब रहा. उसने अगले ही दिन यानि संडे की सुबह सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाला. ये पोस्ट शुबु लोनकार महाराष्ट्र के नाम से डाला गया था. ये वो पोस्ट था जिसमे बाबा सिद्दीकी की मौत के बाद पहली बार जिम्मेदारी ली गई थी. हालांकि, इस पोस्ट में लॉरेंस, उसके भाई या उसके गैंग के किसी बड़े नाम के हवाले से कुछ नहीं लिखा था. बस पोस्ट के आखिर में नीचे शुबु ने हैश टैग लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप, हैश टैग अनमोल बिश्नोई और हैशटैग अंकित भादू शेरेवाला को टैग किया था. अब तक गुरमैल सिंह और धर्मराज की शक्ल में मुंबई पुलिस के पास दो आरोपी मौजूद थे. पूछताछ में पुणे कनेक्शन सामने आ रहा था

साबरमती जेल में बंद लॉरेंस को मुंबई क्यों नहीं ला पा रही पुलिस?

जाहिर है इसका जवाब तभी मिलेगा जब लॉरेंस बिश्नोई से मुंबई पुलिस पूछताछ करेगी. उसे अपनी कस्टडी में लेगी. लेकिन लॉरेंस को कस्टडी में लेकर गुजरात से मुंबई लाना इतना आसान नहीं है. ऐसी कोशिश मुंबई पुलिस एक बार पहले भी कर चुकी है. सलमान खान के घर पर 14 अप्रैल को गोली चलान के मामले में मुंबई पुलिस ने जो चार्जशीट दाखिल की थी उसमे आरोपी नंबर 1 होने के बावजूद मुंबई पुलिस लॉरेंस की पुलिस कस्टडी नहीं ले पाई थी. ना ही वो उसे मुंबई ला पाई थी. बाबा सिद्दीकी के केस में भी यदि सचमुच असली साजिशकर्ता लॉरेंस ही है, तो इस बार भी उम्मीद कम ही है कि उसको साबरमती जेल से निकालकर पूछताछ के लिए मुंबई लाया जाएगा. लेकि यहां भी ये सवाल खड़ा होता है कि ऐसा क्यों?

लॉरेंस बिश्नोई को अहमदाबाद की साबरमती जेल से पूछताछ के लिए किसी और राज्य या शहर में क्यों नही भेजा जाता. दरअसल, इसकी वजह कोई और नहीं बल्कि अपने देश के गृहमंत्रालय का एक फरमान है. असल में 2023 में गृह मंत्रालय ने सीआरपीसी की धारा 268(1) के तहत ये आदेश जारी किया था कि लॉरेंस बिश्नोई को पूछताछ के नाम पर या उसके खिलाफ दर्ज किसी और केस में कहीं ट्रांसफर नहीं किया जाएगा. यानि वो साबरमती जेल के अंदर ही रहेगा. किसी केस में किसी भी राज्य की पुलिस को अगर उससे पूछताछ करनी है तो अदालत से जरूरी इजाजत लेकर वो साबरमती जेल के अंदर ही उससे पूछताछ कर सकती है. ये आदेश अगस्त 2024 तक के लिए था, लेकिन अब इसे एक्सटेंड कर दिया गया है.

मुंबई में पैठ बनाने के लिए ही लॉरेंस ने बाबा सिद्दीकी को चुना?

अब सवाल ये है कि यदि बाब सिद्दीकी के कत्ल के पीछे लॉरेंस का ही हाथ है तो फिर सवाल ये उठता है कि इसकी वजह क्या है. क्योंकि लॉरेंस गैंग ने कभी भी बाबा सिद्दीकी को ना तो धमकी दी और ना ही उनसे कभी उसकी दुश्मनी रही. सिर्फ सलमान खान के दोस्त होने की वजह से यदि उनका कत्ल करवाया तो ये वजह हजम नहीं होती, तो फिर बाबा सिद्दीकी निशाने पर क्यों थे? इस जवाब गैलेक्सी शूटाउट केस में दाखिल मुंबई पुलिस की चार्जशीट में है. उसमें मुंबई पुलिस ने कहा था कि लॉरेंस मुंबई चाहता है. मुंबई पर कंट्रोल चाहता है. तो क्या मुंबई में अपनी पैठ बनाने के लिए ही लॉरेंस ने बाबा सिद्दीकी को चुना? जानकारों की माने तो ऐसा मुमकिन है. लॉरेंस मुंबई में साम्राज्य और रसूख स्थापित करने के लिए ऐसा कर सकता है.

बाबा सिद्दीकी का ना सिर्फ राजनीति, सरकार और पुलिस में ठीक-ठाक दबदबा था बल्कि वो बॉलीवुड में भी उतने ही मशहूर थे. अब ऐसी किसी हस्ती को निशाना बनाकर लॉरेंस गैंग मुंबई में आसानी से अपनी मौजूदगी की दस्तक दे सकता है. तो क्या बाबा सिद्दीकी के कत्ल के पीछे की असली वजह सिर्फ यही है. जाहिर है मुंबई पुलिस के पास पहले से ही इसकी खबर है और अब बाबा सिद्दीकी की मौत के बाद वजह को लेकर इस पहलू से भी वो पूरे मामले की जांच कर रही है

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