नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका में करीब एक तिहाई वयस्क दोपहर में नींद लेते हैं. कुछ रिसर्च में बताया गया है कि छोटी सी नैप अलर्टनेस और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में मदद कर सकती हैं.
Day Time Sleep : दोपहर में खाने के बाद नींद आना स्वाभाविक है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दोपहर में जब हम खाना खाते हैं तो पाचन तंत्र में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है. इसकी वजह से मस्तिष्क में ब्लड की सप्लाई कम हो सकती है. इस वजह से नींद और थकान की समस्या हो सकती है. यह भी कहा जाता है कि खाने के बाद शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है. जिसकी वजह से झपकी ज्यादा आती है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है इसलिए चिंता की बात नहीं लेकिन अगर रोजाना दोपहर में रोने की आदत पड़ जाए तो इसका सेहत पर क्या असर होता है, आइए जानते हैं…
दोपहर में सोना अच्छा या बुरा
नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका में करीब एक तिहाई वयस्क दोपहर में नींद लेते हैं. कुछ रिसर्च में बताया गया है कि छोटी सी नैप अलर्टनेस और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में मदद कर सकती हैं. हालांकि, अगर यह आदत बन जा रही है तो इसका निगेटिव असर पड़ सकता है.
दिन में सोने का क्या असर होता है
हार्वर्ड हेल्थ की रिपोर्ट बताती है कि दिन में छोटी झपकी या नींद याददाश्त को बेहतर बनाने का काम करता है और इससे शरीर एक्टिव भी रहता है. हालांकि अगर यह आदत बन जाती है तो लंबे समय तक कई नुकसान हो सकते हैं. इसलिए सावधान रहने की जरूरत है. शोधकर्ताओं का कहना है कि दिन में अगर ज्यादा देर तक सो रहे है तो यह सेहत से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है.
दिन में सोना चाहिए या नहीं
हार्वर्ड के एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिन में देर तक सोने वाले वयस्कों में डायबिटीज, हार्ट डिजीज और डिप्रेशन जैसी समस्याएं होने का खतरा ज्यादा रहता है. दिन में सोने का मतलब रात में आपकी नींद पूरी नहीं हो रही है, जो कई क्रोनिक बीमारियों को बढ़ा सकता है.
इसलिए रात में नींद पर्याप्त लें. दिन में ज्यादा देर तक सोना स्लीपिंग साइकल को बिगाड़ सकता है. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिन में हल्की सी झपकी सही हो सकता है. दिन में कभी भी 20-30 मिनट से ज्यादा नहीं सोना चाहिए. वरना नुकसान हो सकता है.