Edible Oil Rate: केंद्र सरकार ने एडिबल ऑयल की एसोसिएशन्स को जो ताकीद की है उसके आधार पर माना जा सकता है कि अगले डेढ़ महीने यानी नवंबर के मध्य तक तो खाने के तेल के दाम बढ़ने से रोके जा सकेंगे.
Edible Oil Rate: देश में त्योहारी सीजन का आगाज तो हो चुका है और रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी जैसे पर्व पूरे हो चुके हैं. आजकल पितृ-पक्ष के दिन चल रहे हैं और इसके बाद नवरात्रि का आगमन होगा और दशहरा, दिवाली और देव दीपावली जैसे त्योहार आएंगे. त्योहारों पर हर साल की तरह इस बार भी खाने के तेल या ऐडिबल ऑयल महंगे ना हों, इसका इंतजाम सरकार ने कर दिया है.
हर साल की तरह इन त्योहारों पर ना बढ़ें दाम- सरकार ने दे दी नसीहत
त्योहारी सीजन के दौरान हर साल आपने नोटिस किया होगा कि खाने के तेलों के दाम, चावल, आटा जैसे खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ जाते हैं. इस साल ऐसा ना हो इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों से रिटेल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करने के लिए कहा है. बता दें कि पिछले हफ्ते यानी 14 सितंबर को केंद्र ने घरेलू तिलहन कीमतों को सपोर्ट करने के लिए कई तरह के खाने के तेलों के बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) में इजाफा किया था.
14 सितंबर को अपने फैसले में केंद्र सरकार ने खाने के तेलों पर आयात ड्यूटी बढ़ाई थी, जिसके बाद साफ तौर पर खाने के तेल जैसे सोयाबीन ऑयल, रिफाइंड, पाम तेल के महंगे होने की आशंका बन गई. हालांकि केंद्र सरकार को यह पता है कि कम बेसिक कस्टम ड्यूटी पर पहले से इंपोर्ट किए गए तेल का करीब 30 लाख टन स्टॉक है जो 45 से 50 दिनों की घरेलू खपत के लिए काफी है. इसी लिए केंद्र सरकार ने एडिबल ऑयल की एसोसिएशन्स को ये पक्के तौर पर ताकीद की है पहले वाला स्टॉक रहने तक खाने के तेलों के दाम ना बढ़ाए जाएं.
सरकार की तरफ से क्या आदेश आया है
सरकार ने खाने के तेल प्रोसेस करने वालों से कहा है कि हाल ही में की गई इंपोर्ट ड्यूटी के बाद वो एडिबल ऑयल की रिटेल कीमतों में इजाफा ना करें. सरकार ने कहा है कि ऑयल प्रोसेसर्स के पास कम कीमत पर भेजे गए खाने के तेलों का भरपूर स्टॉक मौजूद है और इसके चलते उनको तेल के दाम बढ़ाने से बचना चाहिए. जानिए सरकार ने और क्या कहा-
फूड मिनिस्ट्री ने कहा कि कम चार्ज पर पहले से इंपोर्टेड स्टॉक आसानी से 45-50 दिनों तक चलेगा. लिहाजा खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ताओं (एडिबल ऑयल प्रोसेसर्स) को मैक्सिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) बढ़ाने से बचना चाहिए. एक सरकारी बयान में कहा गया है- प्रमुख खाद्य तेल एसोसिएशन्स को कहा गया है कि जीरो परसेंट और 12.5 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) पर इंपोर्टेड खाने के तेल के स्टॉक की उपलब्धता रहने तक हर एक खाने के तेल का एमआरपी जैसा है वैसा ही बरकरार रखा जाए. अगर कीमतें बढ़ानी हैं तो अपने मेंबर्स के साथ मामले को तुरंत उठाया जाए.
17 सितंबर को ही ताकीद कर दी गई
बीते मंगलवार को फूड सेक्रेटरी संजीव चोपड़ा ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अलावा इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (SOPA) के रिप्रेजेंटेटिव्स के साथ प्राइस स्ट्रेटेजी पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की. सभी ऑयल एसोसिएशन को यह बता दिया गया है कि सरकार के पास सस्ती कस्टम ड्यूटी वाले पहले के इंपोर्टेड तेल की पूरी जानकारी है.
जानें नई कस्टम ड्यूटी क्या हो गई हैं?
कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को जीरो से बढ़ाकर 20 फीसदी किया गया है. इसके बाद कच्चे तेलों पर ड्यूटी 27.5 फीसदी हो गई है. इसके अलावा रिफाइंड पाम ऑयल, रिफाइंड सूरजमुखी ऑयल और रिफाइंड सोयाबीन ऑयल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 32.5 फीसदी कर दी गई है. इससे रिफाइंड ऑयल पर एप्लिकेबल ड्यूटी 35.75 फीसदी हो गई है.
सरकार ने क्यों बढ़ाई थी कस्टम ड्यूटी
घरेलू तिलहन किसानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का फैसला लिया, क्योंकि अक्टूबर 2024 से सोयाबीन और मूंगफली की बाजारों में आने वाली नई फसलों के चलते ये कदम उठाना जरूरी था. चूंकि भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में एडिबल ऑयल का इंपोर्ट करता है. भारत की कुल ऑयल जरूरतों का 50 फीसदी से ज्यादा इंपोर्ट से आता है.