Thursday, November 7, 2024
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दो दोस्तों ने कर दिया ये कमाल का काम, बिना फ्लाइट में सफर किए घूम लिए 27 देश

27 देशों की यात्रा में एक अनोखा कारण छिपा है जो इस यात्रा को दूसरों से अलग बनाता है. आपको बता दें कि इन दो दोस्तों ने बिना किसी हवाई यात्रा के 27 देशों का सफर किया है.

Trending Video: दुनिया में लोगों के अलग अलग तरह के शौक होते हैं, कोई पैदल पूरी दुनिया घूमना चाहता है तो कोई साइकिल से विश्व भ्रमण पर निकल पड़ता है. इन सबके पीछे लोग अपने अपने तर्क देते हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर इन दिनों दो दोस्त काफी ज्यादा वायरल हैं जिन्होंने अपने कारनामे से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. यह दोनों दोस्त अभी तक 27 देशों की यात्रा कर चुके हैं. आप सोचेंगे कि इसमें कौनसी बड़ी बात है, लोग तो अपने जीवन काल में सेकड़ों देश घूम लेते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. 27 देशों की यात्रा में एक अनोखा कारण छिपा है जो इस यात्रा को दूसरों से अलग बनाता है. आपको बता दें कि इन दो दोस्तों ने बिना किसी हवाई यात्रा के 27 देशों का सफर किया है. इसके पीछे का कारण आपको हैरान कर देगा.

बिना किसी हवाई यात्रा के पीछे यह था कारण

यूरोप के दो दोस्त जो खुद को स्टेबल एक्सप्लोरर कहते हैं ने बिना किसी हवाई यात्रा के 15 महीनों के भीतर 27 देश घूम लिए. टोमासो फरिनाम और एड्रियन लाफुएंते, जो इटली और स्पेन से हैं, अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए उन्होंने एक दूसरे से पक्का वादा लिया और निकल पड़े दुनिया घूमने. उनका संकल्प है कि वह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर अपना सफर करेंगे. उन्होंने प

हवाई जहाज की जगह नाव से किया सफर

उनकी इस यात्रा से न केवल पर्यावरण को मदद मिली है, बल्कि इससे उनके पैसे भी बचे हैं, क्योंकि दुनिया की खोज में उन्होंने प्रति व्यक्ति केवल 7,700 डॉलर (लगभग 6,46,000 रुपये) खर्च किए हैं. हवाई जहाज हर घंटे प्रति यात्री 90 किलोग्राम CO2 उत्सर्जित करता है. जिसमें योगदान देने से इन दो दोस्तों ने मना कर दिया. फरीनाम और लाफुएंते ने हवाई यात्रा की बजाए उनके अल्टरनेट को चुना और नावों में सवार होकर 27 देशों का सफर पूरा कर लिया. उनकी पर्यावरण के प्रति जागरुक यात्रा न केवल ईको फ्रेंडली है बल्कि हवाई यात्रा से सस्ती भी है

यात्रा के दौरान आई रुकावटें लेकिन हिम्मत नहीं हारी

27 देशों की यात्रा के बाद जब उन्होंने अपनी अगली यात्रा का फैसला लिया तो उनके परिवार ने इस पर नाराजगी जता दी. जाहिर है, अटलांटिक पार जाने के फैसले से उनके परिवार वाले बहुत खुश नहीं थे. फरीनाम ने कहा, “पनामा की खाड़ी में पहले 10 दिन बहुत भयानक थे,” उन्होंने आगे कहा, “हमें तेज़ हवाओं, तूफानों और विशाल लहरों का सामना करना पड़ा. पहले तो यह बहुत डरावना था, हमें लगा कि हम पलट जाएंगे. इन चुनौतियों के बावजूद, दोनों अपने टारगेट को लेकर अटल रहे, ऑस्ट्रेलिया पहुंचने की उम्मीद में प्रशांत महासागर को पार करते हुए आगे बढ़ते रहे. अब तक, वे रास्ते में अलग अलग द्वीपों पर रुके हैं, और अपने प्रोजेक्ट, प्रोजेक्ट कुन के हिस्से के रूप में इंस्टाग्राम पर अपने फॉलोअर्स के साथ अपने इस अनूठे सफर को शेयर कर रहे हैं.

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