Friday, September 20, 2024
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Sunlight On Demand: अब रात के अंधेरे में भी मिलेगी सूरज का रोशनी, खरीद भी सकते हैं; जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

Sunlight On Demand: कैलिफोर्निया की एक स्टार्टअप कंपनी ने एक ऐसा प्रोजेक्ट बनाया है, जो अब रात के समय में भी सनलाइट प्रोवाइड करेगा. इस प्रोजेक्ट का नाम सनलाइट ऑन डिमांड रखा गया है.

Sunlight On Demand: कैलिफोर्निया की एक स्टार्टअप कंपनी ने एक ऐसा प्रोजेक्ट बनाया है, जो अब रात के समय में भी सनलाइट प्रोवाइड करेगा. इस प्रोजेक्ट का नाम सनलाइट ऑन डिमांड रखा गया है.
अमेरिका की कंपनी ने रात में सूरज की रोशनी देने की बनाई योजना

क्या आपने कभी सोचा है कि सूरज रात को भी अपनी किरणे बिखेर सकता है. यह बिल्कुल असंभव है, लेकिन जल्द ही यह असंभव चीज संभव होने वाली है. अब रात के समय सूरज आपकी छत पर अपनी रोशनी बिखेरेगा, लेकिन यह कैसे मुमकिन है आपको बताते हैं.

क्या आपने कभी सोचा है कि सूरज रात को भी अपनी किरणे बिखेर सकता है. यह बिल्कुल असंभव है, लेकिन जल्द ही यह असंभव चीज संभव होने वाली है. अब रात के समय सूरज आपकी छत पर अपनी रोशनी बिखेरेगा, लेकिन यह कैसे मुमकिन है आपको बताते हैं.

कैलिफोर्निया की एक स्टार्टअप कंपनी है, जिसका नाम है रिफ्लेक्ट आर्बिटल. इस कंपनी ने प्लान किया है कि वह अंतरिक्ष में सैटेलाइट को लॉन्च करेंगे और उसकी मदद से धरती पर रोशनी को रिफ्लेक्ट किया जाएगा, जिससे बिना किसी बाधा के एनर्जी प्रोडक्शन होता रहेगा. कंपनी के सीईओ बन नोवाक ने “इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ एनर्जी फ्रॉम स्पेस” के लंदन में हुए कार्यक्रम में इस आइडिया को पेश किया.

कैलिफोर्निया की एक स्टार्टअप कंपनी है, जिसका नाम है रिफ्लेक्ट आर्बिटल. इस कंपनी ने प्लान किया है कि वह अंतरिक्ष में सैटेलाइट को लॉन्च करेंगे और उसकी मदद से धरती पर रोशनी को रिफ्लेक्ट किया जाएगा, जिससे बिना किसी बाधा के एनर्जी प्रोडक्शन होता रहेगा. कंपनी के सीईओ बन नोवाक ने “इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ एनर्जी फ्रॉम स्पेस” के लंदन में हुए कार्यक्रम में इस आइडिया को पेश किया.

कंपनी के सीईओ के मुताबिक इस प्रक्रिया को “सनलाइट ऑन डिमांड” का नाम दिया गया है, जिसमें सेटेलाइट के जरिए किसी भी समय कहीं से भी सूरज की रोशनी प्राप्त की जा सकती है. उनका कहना है कि सूरज की रोशनी रात में बंद हो जाती है और इस समस्या को हल कर लिया तो हम हर जगह सौर ऊर्जा को हासिल करने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं . इससे बिजली उत्पादन क्षमता भी दुनिया भर में बढ़ जाएगी.

कंपनी के सीईओ के मुताबिक इस प्रक्रिया को “सनलाइट ऑन डिमांड” का नाम दिया गया है, जिसमें सेटेलाइट के जरिए किसी भी समय कहीं से भी सूरज की रोशनी प्राप्त की जा सकती है. उनका कहना है कि सूरज की रोशनी रात में बंद हो जाती है और इस समस्या को हल कर लिया तो हम हर जगह सौर ऊर्जा को हासिल करने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं . इससे बिजली उत्पादन क्षमता भी दुनिया भर में बढ़ जाएगी.

एक वीडियो जारी करते हुए कंपनी के सीईओ ने बताया कि कंपनी का टारगेट रात के अंधेरे में सूरज की रोशनी को बेचना है. इस योजना में रिफ्लेक्ट आर्बिटल 57 छोटे सैटेलाइट को लॉन्च करने के बारे में सोच रहा है. हर सैटेलाइट 13 वर्ग फुट अल्ट्रा रिफ्लेक्ट मायलर मिरर से लैस होगा. इन अल्ट्रा रिफ्लेक्ट मिरर को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सूर्य के प्रकाश को वापस रिफ्लेक्ट करके पृथ्वी पर भेजेंगे.

एक वीडियो जारी करते हुए कंपनी के सीईओ ने बताया कि कंपनी का टारगेट रात के अंधेरे में सूरज की रोशनी को बेचना है. इस योजना में रिफ्लेक्ट आर्बिटल 57 छोटे सैटेलाइट को लॉन्च करने के बारे में सोच रहा है. हर सैटेलाइट 13 वर्ग फुट अल्ट्रा रिफ्लेक्ट मायलर मिरर से लैस होगा. इन अल्ट्रा रिफ्लेक्ट मिरर को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सूर्य के प्रकाश को वापस रिफ्लेक्ट करके पृथ्वी पर भेजेंगे.

यह सैटेलाइट धरती की सतह से 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर घूमेंगे. वहीं पिक डिमांड के वक्त यह सोलर एनर्जी प्लांट को 30 मिनट तक धूप प्रोवाइड कर सकते हैं. यदि ऐसा संभव हो जाता है तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा. इस स्टार्टअप कंपनी में 7 लोग काम कर रहे हैं, जो पहले ही हॉट एयर बैलून पर मायलर मिरर लगाकर टेस्ट कर चुके हैं. कंपनी की योजना है कि यह 2025 में इस योजना को लॉन्च करेंगे.

यह सैटेलाइट धरती की सतह से 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर घूमेंगे. वहीं पिक डिमांड के वक्त यह सोलर एनर्जी प्लांट को 30 मिनट तक धूप प्रोवाइड कर सकते हैं. यदि ऐसा संभव हो जाता है तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा. इस स्टार्टअप कंपनी में 7 लोग काम कर रहे हैं, जो पहले ही हॉट एयर बैलून पर मायलर मिरर लगाकर टेस्ट कर चुके हैं. कंपनी की योजना है कि यह 2025 में इस योजना को लॉन्च करेंगे.

इस तरह की योजना नामुमकिन सी लगती है, लेकिन रूस द्वारा पहले ही इस योजना को आजमाया जा चुका है. 1992 में रूस ने दो मिशन लॉन्च किए थे. उसने कक्षा में एक मिरर स्थित किया था, जिसने कुछ समय के लिए पृथ्वी की ओर सूरज की रोशनी रिफ्लेक्ट की थी, लेकिन साइंटिस्ट इसे दोहराने में सक्षम नहीं थे. इसके पीछे का कारण यह भी था कि उस दौरान अंतरिक्ष में इस तरह की चीज भेजना बहुत महंगा होता था.

इस तरह की योजना नामुमकिन सी लगती है, लेकिन रूस द्वारा पहले ही इस योजना को आजमाया जा चुका है. 1992 में रूस ने दो मिशन लॉन्च किए थे. उसने कक्षा में एक मिरर स्थित किया था, जिसने कुछ समय के लिए पृथ्वी की ओर सूरज की रोशनी रिफ्लेक्ट की थी, लेकिन साइंटिस्ट इसे दोहराने में सक्षम नहीं थे. इसके पीछे का कारण यह भी था कि उस दौरान अंतरिक्ष में इस तरह की चीज भेजना बहुत महंगा होता था.

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