Stalled Housing Projects: देश के विभिन्न शहरों में घर खरीदार परियोजनाओं में हो रही देरी से परेशान हो रहे हैं. इस देरी के चलते अब डिलीवरी में देरी का शिकार हुए घरों की संख्या 5 लाख के पार निकल गई है.
सरकार के दखल के बाद भी देश में घर खरीदारों की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं. प्रोजेक्ट कंप्लीट होने में देरी से घरों की डिलीवरी अटकने की समस्या बढ़ती ही जा रही है. एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि अब देश के विभिन्न शहरों में इस तरह अटके घरों की संख्या 5 लाख के पार निकल गई है.
डिलीवर नहीं हो पाए हर 5 में से एक घर
डेटा एनालिटिक्स फर्म प्रॉप इक्विटी की एक रिपोर्ट के हवाले से ईटी ने बताया है कि पिछले 8 साल के दौरान देश के 44 शहरों में 1,981 परियोजनाएं अटकी हैं. इसके चलते डिलीवरी में देरी का शिकार हुए घरों की संख्या 5 लाख के पार निकल गई है. इन 8 सालों के दौरान हर 5 अंडर कंस्ट्रक्शन घरों में से एक की डिलीवरी अब तक नहीं हो पाई है. जिन 4 घरों की डिलीवरी हुई है, उनमें भी घर खरीदारों को 3 से 4 साल की देरी का सामना करना पड़ा है.
2018 से अब तक 9 फीसदी का इजाफा
रिपोर्ट के अनुसार, प्रोजेक्ट में देरी के चलते अटके घरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. साल 2018 में ऐसे घरों की संख्या जहां 4 लाख 65 हजार 555 यूनिट थी, अब उनकी संख्या 5 लाख 8 हजार 202 यूनिट पर पहुंच गई है. यानी इस दौरान डिलीवर नहीं हो पाए घरों की संख्या में 9 फीसदी का इजाफा हुआ है.
सबसे ज्यादा ग्रेटर नोएडा में हो रही देरी
आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा घर खरीदारों को टिअर-1 शहरों में परेशानी हो रही है. 14 टिअर-1 शहरों में 1,636 प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, जिनके चलते 4 लाख 31 हजार 946 हाउसिंग यूनिट की डिलीवरी नहीं हो पाई है. टिअर-1 शहरों में 74,645 यूनिट के साथ ग्रेटर नोएडा पहले स्थान पर है. टिअर-2 में 28 शहरों में 76,256 यूनिट की डिलीवरी नहीं हो पाई है. ऐसे शहरों में 13,393 यूनिट के साथ भिवाड़ी पहले नंबर पर है.
मुंबई में अटके सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट
ग्रेटर नोएडा में 167 प्रोजेक्ट देर हो चुके हैं. कुल देर हुए घरों में ग्रेटर नोएडा की हिस्सेदारी अकेले 17 फीसदी है. उसके बाद थाने में 186 परियोजनाओं में 57,520 घर देरी का शिकार हुए हैं, जो कुल आंकड़े के 13 फीसदी के बराबर है. गुरुग्राम 158 परियोजनाओं में 52,509 घरों (12 फीसदी) के साथ तीसरे स्थान पर है. देर हुए प्रोजेक्ट के मामले में मुंबई पहले नंबर पर है. मुंबई में 234 प्रोजेक्ट अटके हुए हैं. उसके बाद बेंगलुरू में 225 प्रोजेक्ट और थाने में 186 प्रोजेक्ट अटके हुए हैं.