Friday, September 20, 2024
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Pulse Prices: महंगाई से आम लोगों को राहत! काम आए सरकार के उपाय, इतनी कम हुईं दालों की कीमतें

Food Inflation in India: दालों की महंगाई दर साल भर से ज्यादा समय से 10 फीसदी से ऊपर चल रही है. सरकार को उम्मीद है कि कीमतों में आ रही नरमी से महंगाई दर में भी कमी आएगी…


महंगाई खासकर खाने-पीने की चीजों के आसमान छूते भाव से परेशान आम लोगों के लिए एक अच्छी खबर आई है. करीब साल भर परेशान करने के बाद दाल की कीमतों में अब नरमी आने लगी है. आने वाले महीनों में भाव और कम होने की उम्मीद है.

6 महीने में इतनी कम हुई महंगाई

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पिछले एक महीने से देश की विभिन्न मंडियों में दाल की कीमतों में नरमी आ रही है. रिपोर्ट के अनुसार, चना, तुअर यानी अरहर और उड़द जैसी दालों के भाव नरम पड़ रहे हैं. यह आम लोगों के लिए बड़ी राहत की बात है, क्योंकि दालों की कीमतें साल भर से ज्यादा समय से तेज चल रही थीं. जनवरी में दालों की खुदरा महंगाई दर 19.54 फीसदी पर थी, जो जून में कम होकर 16.07 फीसदी पर आ गई है.

दालों की कीमतों में आई इतनी नरमी

उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अरहर दाल की खुदरा कीमतें कम होकर शनिवार को 160 रुपये किलो पर आ गईं. यह एक महीने पहले की तुलना में 5.8 फीसदी की कमी है. इसी तरह मसूर दाल एक महीने पहले की तुलना में 10 फीसदी सस्ता होकर शनिवार को 90 रुपये किलो पर आ गई. अधिकारियों का कहना है कि प्रमुख मंडियों में चना, अरहर और उड़द दाल की कीमतें पिछले एक महीने के दौरान 4 फीसदी तक कम हुई हैं.

आयात पर मार्च 25 तक बढ़ाई गई ये छूट

दालों की कीमतें आने वाले महीनों में और नरम होने की उम्मीद है. कीमतों में इस नरमी का प्रमुख कारण सरकारी प्रयासों से आयात में लाई गई तेजी है. सरकार ने दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए अरहर, उड़द और मसूर दाल पर ड्यूटी-फ्री इम्पोर्ट को 31 मार्च 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है. इसके चलते दालों का आयात बढ़ रहा है. पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 4.73 मिलियन टन दालों का आयात किया था, जो वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 90 फीसदी ज्यादा है.

जमाखोरी पर लगाम और बेहतर बुआई

सरकार ने कीमतों पर काबू करने के लिए जमाखोरी के खिलाफ भी सख्त रुख अपनाया है. अरहर और चना दाल पर 30 सितंबर तक के लिए स्टॉक की लिमिट लगा दी गई है. इससे भी उपलब्धता को बेहतर बनाने में मदद मिल रही है. दूसरी ओर बेहतर बारिश से दलहन की बुआई बढ़ रही है. 2 अगस्त तक 11.06 मिलियन हेक्टेयर में दालों की बुआई हो गई, जो साल भर पहले की तुलना में लगभग 11 फीसदी ज्यादा है.

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