Thursday, September 19, 2024
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30 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा और इतने लोगों की हो गई मौत, जानिए संसद में सरकार ने क्या कहा

साल 2020 में 46 लाख 33 हजार 493 कुत्तों के हमले हुए. वहीं साल 2021 की बात करें तो इस साल में कुल 1701133 कुत्तों के काटने के मामले रिपोर्ट हुए थे.

भारत में अवारा कुत्तों की समस्या इतनी गंभीर है कि इसका जवाब अब सरकार को संसद में भी देना पड़ रहा है. आए दिन खबर आती है कि किसी स्ट्रीट डॉग ने किसी बच्चे पर हमला कर दिया या किसी राह चलते को काट लिया. रात में आप अगर बाइक से जा रहे हैं तो ये अवारा कुत्ते आपको ऐसे दौड़ाते हैं, जैसे इनसे आपकी जन्मों की दुश्मनी हो. चलिए अब आपको बताते हैं कि साल 2023 में देश में कुत्तों के काटने के कितने मामले सामने आए. इसके साथ ही आपको ये भी बताते हैं कि कितने लोगों की मौत कुत्तों के काटने की वजह से हो गई.

सरकार ने क्या कहा

मंगलवार को सरकार ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि 2023 के दौरान कुत्तों के काटने के लगभग 30.5 लाख मामले सामने आए. इन मामलों में 286 ऐसे मामले थे जिसमें लोगों की मौत हो गई. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लागू एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2023 के दौरान कुत्तों के काटने के कुल 30,43,339 मामले सामने आए. इसमें 286 लोगों की मौत कुत्तों के काटने से हो गई.

2019 से 2022 तक के मामले

भारत सरकार के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, 2019 में 72 लाख 77 हजार 523 कुत्तों के हमले रिपोर्ट हुए. जबकि, साल 2020 में 46 लाख 33 हजार 493 कुत्तों के हमले हुए. वहीं साल 2021 की बात करें तो इस साल में कुल 1701133 कुत्तों के काटने के मामले रिपोर्ट हुए थे. जबकि,  2022, जुलाई तक भारतीयों पर हुए कुत्तों के हमले की कुल संख्या 14 लाख 50 हजार 666 थी.

इसे रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है

सरकार की तरफ से संसद में जवाब देते हुए कहा गया कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र से मिली रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 के दौरान एंटी-रेबीज टीकों की संख्या 46,54,398 थी. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय देश में रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद से राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम लागू कर रहा है. हालांकि, ये योजना  अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में लागू नहीं होगी.

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