Nepal Plane Crash: घरेलू विमानों के क्रैश पर जहां मृतकों के परिजनों को 20 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है, वहीं अंतरराष्ट्रीय विमानों के लिए नियम अलग है.
भारत के पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवअन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सौर्य एयरलाइंस का एक विमान 9N-AME (CRJ 200) दुर्घटना का शिकार हो गया. बताया जा रहा है कि इस विमान हादसे में अब तक 18 लोगों की मौत हो गई है. शुरुआती जानकारी में इस दुर्घटना के पीछे तकनीकी खामी बताया जा रहा है.
दरअसल, मंगलवार की सुबह जैसे ही प्लेन ने टेकऑफ किया, उसके कुछ ही सेकेंड के भीतर वह जमीन पर आ गिरा. इस हादसे के बाद सोशल मीडिया पर लोग जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या प्लेन हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को भी इंश्योरेंस का पैसा मिलता है. चलिए आज आपको इसी से जुड़े कानून के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.
भारत में मुआवजे का नियम क्या है
भारत में अगर कोई घरेलू विमान हादसे का शिकार होता है और इस हादसे में अगर किसी की मौत होती है तो इसमें मुआवजे का प्रावधान है. दरअसल, साल 2014 में मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन ने एक गजट नोटिफ़िकेशन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई घरेलू विमान हादसे का शिकार होता है तो उस हादसे में जान गंवाने वाले हर व्यक्ति के परिजन को 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय विमानों के लिए अलग नियम है
घरेलू विमानों के क्रैश पर जहां मृतकों के परिजनों को 20 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है, वहीं अंतरराष्ट्रीय विमानों के लिए नियम अलग है. अगर कोई इंटरनेशनल फ्लाइट क्रैश हो जाए तो उस हादसे में मरे लोगों के परिजनों को एयरलाइन की तरफ से 1,13,100 SDR (स्पेशल ड्रॉइंग राइट) मिलते हैं. भारतीय रुपये में इसे बदलें तो ये करीब 1 करोड़ 24 लाख रुपये के आसपास होगा. इसके अलावा भारत सरकार जो मुआवजा देना चाहे वो अलग से मृतकों के परिजनों को मिलेगा.
कैसे लेना पड़ता है इश्योरेंस
अब सवाल उठता है कि क्या ट्रेन की टिकट की तरह प्लेन की टिकट खरीदते समय भी पैसेंजर को इंश्योरेंस लेना पड़ता है. दरअसल, जब हम भारत में कोई ट्रेन टिकट बुक करते हैं तो उस टिकट के साथ हम कुछ पैसे का इंश्योरेंस भी खरीदते हैं. ऐसा इसलिए ताकि किसी हादसे में अगर पैसेंजर के साथ कोई अनहोनी हो जाए तो उसके परिजनों को मुआवजा मिल जाए. हालांकि, प्लेन टिकट के साथ ऐसा नहीं होता. दरअसल, प्लेन के साथ दूसरा नियम लागू होता है. जब कोई प्लेन टेकऑफ करने वाला होता है तो उससे पहले ही पूरी फ्लाइट को इंश्योर किया जाता है.