Thursday, November 7, 2024
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अखिलेश के साथ साये की दिख रहे अवधेश, कभी यही करीबी पड़ गई थी भारी, जानें- पूरी कहानी

UP Politics: फैजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले अवधेश प्रसाद अखिलेश यादव के करीबी नेताओं में आते हैं. लेकिन, एक समय था जब अखिलेश से करीबी उन्हें भारी पड़ गई थी.

Awdesh Prasad News: लोकसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसके बाद सपा उत्साहित है, नई संसद में भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नए तेवर और पीडीए को मजबूत करते दिख रहे हैं. ऐसे में अयोध्या (फैजाबाद) सीट से चुनाव जीतने वाले अवधेश हर कदम पर उनके साथ दिख रहे हैं. यही नहीं लोकसभा में भी वो पहली लाइन में अखिलेश यादव के बगल वाली सीट पर बैठते हैं.

जहां एक समय में आजम खान अखिलेश यादव के सबसे करीबी नेता माने जाते थे वहीं अब उनकी जगह अवधेश प्रसाद लेते दिखाई दे रहे हैं. अवधेश प्रसाद की सपा अध्यक्ष की ये करीबी जहां चर्चा का विषय बनी हुई है. एक वक्त ऐसा भी था जब अखिलेश यादव की करीबी का बड़ा खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा था. यही नहीं उनके बेटे का टिकट तक काट दिया गया था.

अखिलेश यादव से करीबी पड़ी भारी
अवधेश प्रसाद शुरुआत से ही अखिलेश यादव के करीबी रहे हैं. जब सैफई परिवार में पार्टी पर वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी थी तब भी वो उनके साथ ही खड़े दिखाई दिए. लेकिन अखिलेश यादव से ये करीबी उनके लिए मुसीबत बन गई थी. ये उस वक्त की बात है जब सपा में अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच की कलह खुलकर सामने आ गई थी. 

साल 2012 में जब अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने तो उनका कार्यकाल मुलायम सिंह के करीबी शिवपाल यादव, आजम खान और अमर सिंह के साथ अखिलेश की खींचतान को लेकर सुर्खियों में रहा था. 2017 का चुनाव आने से पहले अखिलेश यादव ने पिता के खिलाफ बगावत कर दी थी. खुलकर इन नेताओं के विरोध में आ गए थे. 

चाचा-भतीजे में छिड़ गई थी जंग
चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव ने कलह की शुरुआत 2016 से हुई जब मुख़्तार अंसारी और अफजाल अंसारी सपा के साथ अपनी पार्टी क़ौमी एकता दल का विलय करना चाहते थे. लेकिन, अखिलेश यादव ने इसका विरोध किया, जिससे शिवपाल यादव नाराज हो गए. इसके बाद दोनों के बीच दूरी बढ़ती चली गई और अखिलेश ने शिवपाल के करीबी सचिव दीपक सिंघल को पद से हटा दिया. जिसकी शिकायत उन्होंने मुलायम सिंह यादव से कर दी. 

बात मुलायम सिंह तक पहुंची तो उन्होंने एक्शन लेते हुए अखिलेश यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया और शिवपाल यादव को ये जिम्मेदारी दे दी. इधर नाराज अखिलेश यान ने शिवपाल यादव से PWD, सिंचाई जैसे अहम मंत्रालय छीनकर अवधेश प्रसाद को दे दिए. ये तकरार का असर 2017 के चुनावों में टिकट बंटवारे तक पर देखने को मिला. 

शिवपाल यादव ने काट दिया था टिकट
अखिलेश यादव के अपने करीबी अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अमेठी की जगदीशपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. अवधेश दो महीनों से इस क्षेत्र में मेहनत भी कर रहे थे. लेकिन, शिवपाल ने उनके बेटे का टिकट काट दिया. बेटे का टिकट कटने के बाद अवधेश प्रसाद निराश हो गए और वो मुलायम सिंह यादव के पास पहुंचे, उनके दखल के बाद अजीत प्रसाद को जगदीशपुर से टिकट दिया गया. 

हालांकि इसके बाद भी सपा का घमासान नहीं थमा. 30 दिसंबर को मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव और चाचा रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया. इसके जवाब में रामगोपाल यादव पार्टी का विशेष अधिवेशन बुलाया जिसमें मुलायम सिंह यादव की जगह अखिलेश यादव पार्टी के अध्यक्ष बना दिए गए. वहीं शिवपाल यादव को भी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. 

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