Diet Plan for Baby: बच्चे जैसे-जैसे बड़े होने लगते हैं, उनकी डाइट को लेकर मां की चिंता बढ़ जाती है. आइए आपकी इस उलझन को दूर करते हैं.
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसे न्यूट्रिशियन की जरूरत होने लगती है. बच्चे के शुरुआती दो साल के दौरान उसे जो भी खाना खिलाया जाता है, उससे बच्चे का ब्रेन तैयार होता है. ऐसे में मांएं अक्सर यह सोचने लगती हैं कि बच्चे को सॉलिड फूड कब से देना चाहिए और उसे बाहर का खाना कब से खिलाना चाहिए?
छह महीने तक ऐसे रखें बच्चे का ख्याल
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, बच्चा जब तक छह महीने का नहीं होता है, तब तक उसे मां का दूध ही पिलाना चाहिए. बच्चे को जरूरी न्यूट्रीशियंस और एनर्जी मां के दूध से ही मिल जाते हैं. जब बच्चा छह महीने का हो जाता है, तब उसे ज्यादा एनर्जी और न्यूट्रीशियंस की जरूरत होती है. ऐसे में महिलाएं अपने बच्चे को सॉफ्ट डाइट देना शुरू कर सकती हैं.
छह महीने के बच्चे को क्या खिलाएं?
अब सवाल उठता है कि जब बच्चा छह महीने का हो जाए, तब उसे क्या-क्या खिलाना चाहिए? जब बच्चा छह महीने का हो जाए, आप उसे दो-तीन चम्मच सॉफ्ट फूड जैसे दलिया, मसले हुए फल या सब्जियां दे सकते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि यह डाइट दिन में सिर्फ दो बार देनी चाहिए. इस वक्त तक बच्चा भले ही मां का दूध पी रहा हो या नहीं, उसे ठोस आहार जरूर देना चाहिए. इससे ज्यादा देर करने पर बच्चे की सेहत को नुकसान हो सकता है. यह बात हमेशा याद रखें कि छह महीने का होने से पहले बच्चे को ठोस आहार, पानी, जूस या दलिया आदि कभी नहीं देना चाहिए, क्योंकि उसे जरूरी न्यूट्रीशियंस मां के दूध से ही मिल जाते हैं.
बच्चे को बाहर का खाना कब खिलाना चाहिए?
अब सवाल उठता है कि क्या छह महीने का होने के बाद बच्चे को ठोस आहार के साथ-साथ बाहर यानी बाजार का खाना खिला सकते हैं? डॉक्टरों की मानें तो इसका जवाब न है, क्योंकि बाहर का खाना बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है. छह महीने का होने के बाद कुछ लोग अपने बच्चे को बाहर के खाने का स्वाद देने लगते हैं. इससे बच्चे की तबीयत बिगड़ सकती है, क्योंकि उनका पाचन तंत्र बाहर का खाना पचाने लायक नहीं हो पाता है. इससे बच्चे की तबीयत बिगड़ सकती है. उसे लूज मोशन आदि की समस्या हो सकती है. जब तक बच्चा समझने और अपनी बात कहने लायक न हो जाए, उसे बाहर के खाने से दूर रखना चाहिए.
इस बात का हमेशा रखें ध्यान
कुछ महिलाएं छह महीने का होने के बाद भी बच्चे को अपना दूध पिलाने में यकीन रखती हैं और उसे सॉलिड डाइट नहीं देती हैं, लेकिन यह तरीका भी गलत है. दरअसल, बढ़ते शरीर के चलते बच्चे को एक्स्ट्रा एनर्जी और पोषक तत्वों की जरूरत होती है. अगर आप सॉलिड डाइट देने में देर करती हैं तो बच्चे के वजन पर असर पड़ सकता है.