Varanasi में पीएम नरेंद्र मोदी के नामांकन से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा फैसला लिया है. बीजेपी के इस फैसले से सपा-कांग्रेस के गठबंधन और बसपा को झटका लग सकता है.
UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की सीटों को साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा फैसला लिया है. बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन को लेकर जो रणनीति बनाई है उसके जरिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पीडीए की काट माना जा रहा है.
साल 2019 में पूर्वांचल में बीजेपी आजमगढ़, लालगंज, गाजीपुर, घोसी और जौनपुर सीट हार गई थी. इन सीटों को दोबारा हासिल करने के लिए बीजेपी ने फुलप्रूफ प्लान तैयार कर लिया है.
दरअसल बीजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी के नामांकन के लिए प्रस्तावकों में हर समाज से लोगों को चुना है. इसमें सबसे पहला नाम पंडित गणेश्वर शास्त्री हैं. वाराणसी के रामघाट के निवासी हैं ज्योतिष विद्या के जानकार और काशी के वैदिक ब्राह्मण के रूप में इनकी पहचान है. इन्होंने ही अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला.ये ब्राह्मण समाज से हैं.
वहीं दूसरा नाम बैजनाथ पटेल का है. ये OBC समाज से आते हैं और संघ के पुराने और समर्पित कार्यकर्ता रहे है. पटेल सेवापुरी विधानसभा के हरसोस के रहने वाले हैं. सेवापुरी और रोहनियाँ कुर्मी पटेलों का गढ़ माना जाता है. इसके अलावा लालचंद कुशवाहा भी पीएम मोदी के प्रस्तावक हैं. ये भी OBC बिरादरी से हैं. बनारस के सिगरा के निवासी बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता हैं. पीएम के प्रस्तावकों में संजय सोनकर का भी नाम है जो दलित समाज से आते हैं. वह वाराणसी में जिले के महामंत्री हैं.
प्रस्तावकों के चयन को अगर जातीय तौर पर देखें तो वाराणसी लोकसभा में ब्राह्मण 3 लाख से अधिक हैं. वहीं 2.5 लाख से अधिक गैर यादव OBC हैं. इसके 2 लाख कुर्मी हैं.
पीएम के वाराणसी से लड़ने से 26 सीटों पर असर
बता दें पीएम नरेंद्र मोदी साल 2014 में पहली बार वाराणसी लोकसभा से सांसद चुने गए थे. इसके बाद वह साल 2019 में भी इसी सीट से चुनाव लड़े और प्रचंड जीत हासिल की. अब वह तीसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
पीएम के वाराणसी के लड़ने के बारे में माना जाता है कि बीजेपी पूर्वांचल की 26 सीटों पर एक साथ समीकरण साधती है. साल 2014 में जब पीएम मोदी पहली बार इस सीट से चुनाव लड़े थे तो पूर्वांचल में क्लीन स्वीप किया था.
मौजूदा चुनाव में सपा प्रमुख लगातार पीडीए समीकरण की बात कर रहे हैं. उनके समीकरण में पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक, अगड़ा और आदिवासी समेत अन्य वर्ग हैं. वह लगातार कह रहे हैं कि यूपी में PDA, NDA को हराएगा. ऐसे में बीजेपी ने उनकी रणनीति को मात देने के लिए जो फैसला लिया है वह पूर्वांचल की सीटों पर कितना कारगर होता है यह तो चार जून को पता चलेगा.