Thursday, November 7, 2024
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Sam Pitroda: राजीव गांधी-मनमोहन सिंह के सलाहकार, टेलीकॉम एक्सपर्ट! कौन हैं सैम पित्रोदा और क्या है उनका US कनेक्शन?

Sam Pitroda Profile: सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. उनकी गिनती गांधी परिवार के करीबी लोगों में होती है. वह फिलहाल अमेरिका में रह रहे हैं.

Sam Pitroda News: सैम पित्रोदा वो नाम है, जो अक्सर ही अपने बयानों से कांग्रेस पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर देते हैं. पित्रोदा ने इस बार ‘इन्हेरिटेंस टैक्स’ यानी विरासत टैक्स की वकालत कर सियासी हलचल बढ़ा दी है. उन्होंने विरासत टैक्स के बारे में बात करते हुए इसे बेहद ही रोचक कानून बताया है. पित्रोदा के बयान के बाद बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो गई है. पार्टी का कहना है कि अगर कांग्रेस इस टैक्स सिस्टम को लाती है तो ये व्यापारियों के लिए ठीक नहीं होगा. 

विरासत टैक्स को समझाते हुए सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और वह मर जाता है. ऐसी स्थिति में 45 फीसदी संपत्ति उसके बच्चों को मिलती है, जबकि 55 फीसदी जनता के लिए सरकार के पास चली जाती है. उन्होंने आगे कहा कि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है. यहां किसी के मरने पर उसकी पूरी संपत्ति बच्चों को मिल जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर सैम पित्रोदा कौन हैं और उनका अमेरिका से क्या कनेक्शन है.

कौन हैं सैम पित्रोदा? 

सैम पित्रोदा का जन्म 1942 में ओडिशा के तितिलागढ़ में हुआ. उनका पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है. कांग्रेस नेता का परिवार गुजरात से आता है. यही वजह है कि उन्हें पढ़ने के लिए गुजरात के एक बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया गया था. यहां से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने वड़ोदरा की महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में ग्रेजुएशन किया. परिवार ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए 60 के दशक में अमेरिका भेज दिया, जहां से उन्होंने मास्टर्स किया. 

अमेरिका के इलिनोइस राज्य के शिकागो शहर में ‘इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ मौजूद है, जहां से 1964 में सैम पित्रोदा ने फिजिक्स में मास्टर्स किया. पित्रोदा को गांधी परिवार के करीबी लोगों में से एक माना जाता है. वर्तमान में वह इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. पित्रोदा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, वह शिकागो में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं. कांग्रेस नेता अपने बयानों की वजह से हमेशा ही सुर्खियों में रहे हैं. 

भारत आने पर छोड़ी अमेरिकी नागरिकता

सैम पित्रोदा ने अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने के बाद 1965 में टेलीकॉम इंडस्ट्री में हाथ आजमाया. अपने पहले पेटेंट के तौर पर 1975 में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक डायरी का आविष्कार किया. गांधीवादी विचारधारा को मानने वाले परिवार से आने वाले पित्रोदा की कांग्रेस से भी काफी नजदीकियां रहीं. अमेरिका में रहने के दौरान पित्रोदा को वहां की नागरिकता भी मिल गई थी. हालांकि, फिर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर वह अमेरिका से भारत लौट आए. 

भारत आने पर सैम पित्रोदा अमेरिकी नागरिकता त्याग कर एक बार फिर से भारतीय बन गए. 1984 में उन्होंने ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स’ नाम की टेलीकॉम संस्था की शुरुआत की. हालांकि, उसी साल इंदिरा की हत्या हो गई और राजीव गांधी पीएम बने. राजीव ने पित्रोदा को अपना सलाहकार बनाया. भारत में इंफोर्मेशन इंडस्ट्री में बदलाव के लिए दोनों मिलकर काम किया. राजीव ने उन्हें टेलीकॉम, वाटर, शिक्षा जैसे छह टेक्नोलॉजी मिशन का हेड बनाया था.

1990 में दोबारा चले गए अमेरिका

हालांकि, राजीव गांधी की हत्या और कई वर्षों तक भारत में काम करने के बाद सैम पित्रोदा एक बार फिर से अमेरिका लौट गए. 1990 में वह फिर से अमेरिका चले गए. उन्होंने एक बार फिर से शिकागो से अपने काम की शुरुआत की और कई कंपनियों को लॉन्च किया. 1995 में सैम पित्रोदा को इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन WorldTel इनिशिएटिव का पहना चेयरमैन बनाया गया. हालांकि, लगभग डेढ़ दशक बाद फिर से उनकी भारत वापसी हुई.

यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे सैम पित्रोदा

दरअसल, 2004 के चुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए सरकार का गठन किया गया. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया. तत्कालीन पीएम मनमोहन ने सैम पित्रोदा को फिर से भारत आने का न्योता दिया और इस तरह उनकी वतन वापसी हुई. भारत आने पर मनमोहन सिंह ने उन्हें नेशनल नॉलेज कमीशन का अध्यक्ष बनाया. वह इस पद पर 2005 से 2009 तक बने रहे. 

वहीं, जब 2009 में जब यूपीए सरकार की फिर से वापसी हुई, तो इस बार सैम पित्रोदा को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सलाहकार बनाया गया. इस तरह उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिल गया. पित्रोदा की वेबसाइट के मुताबिक, उनके पास लगभग 20 मानद पीएचडी और लगभग 100 विश्वव्यापी पेटेंट हैं. उन्होंने पांच किताबें और कई पेपर प्रकाशित किए हैं. 

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