नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग चरणों में वोटिंग का दौर जारी है और नतीजे 4 जून को आएंगे, मगर मतदान से पहले ही भाजपा ने एक सीट जीत ली है. सूरत सीट से भारतीय जनता पार्टी निर्विरोध तौर पर जीत गई है. कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने और अन्य सभी प्रत्याशियों के अपने नामांकन वापस लेने के बाद गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर सूरत में कांग्रेस कैंडिडेट के साथ ऐसा क्या हुआ कि वोटिंग के बगैर ही भाजपा जीत गई?
दरअसल, रविवार को निर्वाचन अधिकारी ने सूरत सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में प्रथम दृष्टया विसंगति होने के बाद रद्द कर दिया था. इतना ही नहीं, कुंभानी का नामांकन रद्द होने के बाद पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी रद्द कर दिया गया. नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन यानी सोमवार को आठ उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिनमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्यारेलाल भारती और अधिकतर निर्दलीय शामिल हैं.
कांग्रेस के दोनों कैंडिडेट का नामांकन फॉर्म कैंसल
सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी अपने तीन प्रस्तावकों में से एक को भी चुनाव अधिकारी के सामने पेश नहीं कर पाए, जिसके बाद उनका नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया गया. कुंभाणी के नामांकन फॉर्म में तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में गड़बड़ी को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए थे. सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन फॉर्म भी अमान्य कर दिया गया, जिससे कांग्रेस सूरत सीट के लिए चुनावी मैदान से बाहर हो गई.
रिटर्निंग ऑफिसर के आदेश में क्या?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी ने अपने आदेश में कहा कि कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभानी और सुरेश पडसाला द्वारा जमा किए गए चार नामांकन फॉर्म खारिज कर दिए गए क्योंकि पहली नजर में प्रस्तावकों के हस्ताक्षरों में विसंगतियां पाई गईं और वे वास्तविक नहीं लगे. रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी के आदेश में कहा गया है कि कांग्रेस कैंडिडेट के प्रस्तावकों ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्होंने स्वयं फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
नीलेश कुंभानी को अपनों ने दिया धोखा!
यहां हैरानी की बात है कि कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभानी के तीनों प्रस्तावक उनके अपने रिश्तेदार थे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, नीलेश कुंभानी के जिन तीन प्रस्तावकों ने अपना हस्ताक्षर फर्जी होने का दावा किया है, उनमें एक उनके बहनोई, दूसरा भतीजा और तीसरा उनका एक बेहद करीबी बिजनेस पार्टनर था. इस तरह से नीलेश कुंभानी को अपनों ने ही धोखा दे दिया.
कांग्रेस कैंडिडेट को मिला था एक दिन का समय
प्रस्तावकों के सिग्नेचर वाले दावे के बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने नीलेश कुंभानी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया था. इसके एक दिन बाद कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी अपने अधिवक्ता के साथ चुनाव अधिकारी के पास आये, मगर उनके साथ तीन प्रस्तावकों में से कोई नहीं आया. रिटर्निंग ऑफिसर के आदेश में कहा गया है कि कांग्रेस उम्मीदवार के वकील के अनुरोध पर जांचे गए वीडियो फुटेज में भी हस्ताक्षरकर्ताओं की उपस्थिति नहीं पाई गई. हालांकि, कांग्रेस ने कुंभानी के तीनों प्रस्तावकों के अगवा किए जाने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस ने भाजपा पर लगाया आरोप
कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि नीलेश कुंभानी का नामांकन भाजपा के इशारे पर रद्द किया गया. पार्टी ने कहा कि वह इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देगी. इससे पहले भाजपा की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सी.आर.पाटिल ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘सूरत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पहला कमल भेंट किया है. मैं सूरत लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध निर्वाचित होने पर बधाई देता हूं.’ भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सभी 26 सीट पर जीत हासिल की थी.