Delhi Liquor Policy Case: पीएमएलए कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अरविंद केजरीवाल को 15 अप्रैल, 2024 तक न्यायिक हिरासत में भेजा है.
Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा दावा किया है. केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से बताया गया कि वह ईडी को गुमराह कर रहे थे. यही वजह है कि जांच एजेंसी अभी भी इस घोटाले में दिल्ली सीएम की भूमिका को लेकर जांच-पड़ताल में जुटी है.
ईडी की रिमांड एप्लीकेशन में कहा गया कि 55 साल के आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पासवर्ड्स शेयर नहीं किए. आइए, 10 पॉइंट्स में जानते हैं कि दिल्ली सीएम को लेकर जांच एजेंसी की रिमांड एप्लीकेशन के जरिए क्या-कुछ सामने निकलकर आया है:
न्यायिक हिरासत के अनुरोध वाली ईडी की याचिका के अनुसार, 21 मार्च को गिरफ्तारी के बाद हिरासत में पूछताछ के दौरान केजरीवाल सवालों के गोलमोल जवाब देते नजर आए और उन्होंने इस दौरान जानकारी छिपाई. उनके बयान नौ दिन तक दर्ज किए गए और इस दौरान अरविंद केजरीवाल का सामना विभिन्न चश्मदीदों, अप्रूवर्स और सह-आरोपियों की टिप्पणियों से हुआ.
ईडी ने अदालत से कहा, ‘‘गिरफ्तार व्यक्ति (अरविंद केजरीवाल) ने आप के अन्य सदस्यों के बारे में झूठे और विपरीत सबूत भी दिए हैं. जब उनसे (दिल्ली सीएम) उनकी ही पार्टी के नेताओं की ओर से दिए गए बयानों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उन्हें भ्रमित बताया.’’
ईडी का आरोप है कि पूछताछ के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आप के संचार प्रभारी विजय नायर ‘‘उन्हें नहीं, बल्कि उनके कैबिनेट सहयोगियों आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करते थे’’ व विजय नायर के साथ उनकी बातचीत ‘‘सीमित’’ थी. एजेंसी का दावा है कि विजय नायर ने दर्ज बयानों में बताया कि वह दिल्ली सीएम के बंगले में रहा और उनके साथ ऑफिस में काम भी कर चुका है.
ईडी ने कहा कि उसने सीएम केजरीवाल से पूछा कि विजय नायर एक कैबिनेट मंत्री (कैलाश गहलोत) के बंगले में क्यों रह रहा था और मुख्यमंत्री के शिविर कार्यालय में काम क्यों करता था तो उन्होंने शिविर कार्यालय में काम करने वाले व्यक्तियों के बारे में ‘अनभिज्ञता’ का दावा किया.
यह भी दावा किया था कि विजय नायर ने फोन पर फेसटाइम (आईफोन पर एक वीडियो कॉलिंग सुविधा) के जरिए समीर (महेंद्रू) और अरविंद केजरीवाल के लिए एक वीडियो कॉल की व्यवस्था की, जिसमें अरविंद ने समीर से कहा कि विजय उनका भरोसेमंद है और समीर को उस पर भरोसा करना चाहिए तथा उसके साथ आगे बढ़ना चाहिए.
याचिका में कहा गया कि अरविंद केजरीवाल को शराब कारोबारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और यहां तक कि दिनेश अरोड़ा और अभिषेक बोइनपल्ली जैसे बिचौलियों सहित शराब व्यवसाय में शामिल अन्य सह-आरोपियों के साथ नायर की 10 से अधिक बैठकों के सबूत दिखाए गए. इसमें कहा गया, ‘‘गिरफ्तार व्यक्ति को यह समझाने के लिए कहा गया कि नायर किस अधिकार के साथ इन बैठकों में शामिल हुआ था, गिरफ्तार व्यक्ति ने इन व्यक्तियों के बारे में अनभिज्ञता का दावा करके सवाल टाल दिया.’’
ईडी ने बताया- आप संयोजक ने अपनी डिजिटल डिवाइस के पासवर्ड भी नहीं बताए, जिसकी वजह से सबूत कलेक्ट करने में उसे दिक्कत आई और यह दिल्ली सीएम की ओर से असहयोग को भी दर्शाता है.
ईडी ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को गोवा के लिए लगभग 45 करोड़ रुपए के हवाला ट्रांसफर के सबूत भी दिखाए गए. एजेंसी का आरोप है कि यह रकम गोवा में आप के प्रचार अभियान के लिए थी.
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कहा गया कि अरविंद केजरीवाल को रिहा न किया जाए क्योंकि वह ‘अत्यधिक प्रभावशाली हैं और इस बात की पूरी आशंका है कि वह ‘‘गवाहों को प्रभावित करेंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे.’’
ईडी फिलहाल दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की भूमिका को लेकर मामले की जांच कर रही है. वह और लोगों की पहचान में भी जुटी है, जो कि इस केस से जुड़े हैं.