Thursday, September 19, 2024
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Shark Tank India: ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह काम कर रहीं एप्पल और गूगल, इन पर होनी चाहिए सख्त कार्रवाई

Anupam Mittal: शादी डॉट कॉम के फाउंडर अनुपम मित्तल ने कहा है कि सरकार को इनसे सभी कानूनों के पालन सख्ती से करवाने चाहिए. ये दिग्गज कंपनियां स्टार्टअप को आगे बढ़ने में मुश्किल पैदा कर रही हैं.
Anupam Mittal: टेक और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में एप्पल और गूगल की बादशाहत पर कोई उंगली नहीं उठा सकता है. इन कंपनियों का दबदबा पूरी दुनिया में है. कुछ ऐसी ही ताकत 19वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के पास भी थी. आज के जमाने में कंपनी के जैसी ताकत अमेरिकी डॉलर के पास भी है. वह पूरी दुनिया की इकोनॉमी को चला रहा है. हालांकि, ईस्ट इंडिया कंपनी उपनिवेश बनाने के लिए कुख्यात हो गई. इसलिए उसके नाम का नकारात्मक इस्तेमाल किया जाने लगा है. जाने-माने बिजनेस शो शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) के जज अनुपम मित्तल (Anupam Mittal) ने भी एप्पल और गूगल की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की है. उन्होंने एप्पल और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों के खिलाफ सख्ती दिखाने की अपील भी की है.


बड़ी टेक कंपनियों पर लगनी चाहिए पेनल्टी
शादी डॉट कॉम के फाउंडर अनुपम मित्तल तीन सीजन से शार्क टैंक इंडिया के साथ जुड़े हुए हैं. उन्होंने एप्पल और गूगल (Apple and Google) पर हमला बोलते हुए कहा कि ऐसी बड़ी टेक कंपनियों पर पेनल्टी लगनी चाहिए. डिजिटल वर्ल्ड में कंट्रोल बनाने की कोशिशों के चलते अक्सर इन कंपनियों की आलोचना की जाती है. अनुपम मित्तल ने बिजनेस इनसाइडर को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ये बड़ी तक कंपनियां ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह काम कर रही हैं. 19वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी एक कभी न फेल हो सकने वाली करेंसी की तरह बन चुकी थी. आज यही दर्जा डॉलर का है.

स्टार्टअप की कमाई हड़पना चाहती हैं ये कंपनियां
मित्तल ने कहा कि इन दिग्गज टेक कंपनियों को यह अहंकार है कि उन्हें किसी तरह की सजा नहीं मिल सकती. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्टार्टअप अपने रेवेन्यू का 10 से 50 फीसदी हिस्सा इन्हीं तक कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर एडवरटाइजिंग में खर्च करते हैं. एप स्टोर में अगर कंटेंट नहीं है तो इसका कोई मूल्य नहीं है. इसके बावजूद कंपनियों के पास एप्पल और गूगल की नाजायज डिमांड को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. अब वो कह रहे हैं कि एप स्टोर से डाउनलोड हुए एप पर होने वाले ट्रांजेक्शन का 15 से 30 फीसदी हिस्सा उन्हें टैक्स या कमीशन के रूप में चाहिए. इसका मतलब वे स्टार्टअप की कमाई का 50 फीसदी हिस्सा चाहते हैं.
पूरी दुनिया को इनसे कानूनों का पालन करवाने में आ रही दिक्कत
उन्होंने कहा कि भारत समेत पूरी दुनिया को इन दिग्गज कंपनियों से नियमों का पालन करवाने में दिक्कत आ रही है. भारत सरकार और उसके नियामक कानून को सही दिशा में ले जा रहे हैं. हालांकि, उन्हें इन बड़ी कंपनियों से भी नियमों का पालन करवाना होगा. यदि ये कंपनियां कानून से तोड़ मरोड़ करती हैं तो उन पर जुर्माने भी लगाए जाने चाहिए. हमें ऐसी कंपनियों को सख्त संदेश देने की जरूरत है. छोटे-मोटे जुर्माने से इन बड़ी कंपनियों का कुछ नहीं बिगड़ने वाला.

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