Center Invited Farmer Leaders To Talk: किसान संगठनों ने विभिन्न मांगों को लेकर 13 जनवरी को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. उससे पहले 12 फरवरी को किसान नेताओं के साथ बैठक होगी.
Center Ministers Will meet Farmer Leaders: लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले किसानों ने एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हालांकि सरकार ने उनके आंदोलन पर विराम लगाने के लिए पहल शुरू कर दी है. केंद्र सरकार ने कुछ किसान संगठनों को बातचीत के लिए साथ आने का पैगाम भेजा है.
ये वे संगठन हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में 13 मार्च को ‘दिल्ली चलो’ कार्यक्रम और विरोध मार्च करने का ऐलान किया है. सरकार ने उनके प्रस्तावित दिल्ली चलो कार्यक्रम से एक दिन पहले 12 फरवरी को दूसरे दौर की चर्चा के लिए आमंत्रित किया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देर रात बातचीत का पत्र भेजा है.
इन संगठनों से बातचीत करेगी सरकार
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के संयोजक सरवन सिंह पंधेर को यह पत्र भेजा गया है. 12 फरवरी की शाम 5 बजे चंडीगढ़ में महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (MAGSIPA) में इन्हें बैठक के लिए बुलाया गया है. इसमें केंद्र सरकार की ओर से कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय सहित तीन सदस्यीय केंद्रीय टीम भाग लेगी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने के हवाले से लिखा है कि केंद्र ने उनकी मांगों पर चर्चा के लिए उन्हें 12 फरवरी को आमंत्रित किया है. किसान नेता ने चंडीगढ़ में बातचीत के लिए उन्हें आमंत्रित करने वाला पत्र भी साझा किया.
क्या है किसान संगठनों की मांग?
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत कई मांगों को स्वीकार करने का केंद्र पर दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च की घोषणा की है. इसमें 200 से अधिक किसान संघ शामिल हैं.
एक दौर की बातचीत हो चुकी है पूरी
इससे पहले तीनों मंत्री गुरुवार (8 फरवरी) को चंडीगढ़ पहुंचे थे और किसान नेताओं के साथ बैठक की थी. उस बैठक का समन्वय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया था, जिन्होंने बाद में कहा था कि अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने पर आम सहमति बन गई है.