Friday, November 15, 2024
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‘दुश्मनों जैसा सुलूक…’, ज्ञानवापी मामले पर मुस्लिम पक्ष ने क्यों कहा- हम मुंह दिखाने के काबिल नहीं

Gyanvapi Case: अदालत से ज्ञानवापी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार मिलने के बाद उठे पूरे विवाद पर दिल्ली में मुस्लिम समाज के आला नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपना पक्ष रखा है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि हमारी अदालतें इस तरह का भेदभाव करेंगी, तो उन पर से भरोसा खत्म हो जाएगा. जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि ये कहना गलत नहीं होगा कि दुश्मनों जैसा सुलूक किया जा रहा है.

नई दिल्ली. अदालत से ज्ञानवापी (Gyanvapi Case) के तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार मिलने के बाद उठे पूरे विवाद पर दिल्ली में मुस्लिम समाज के आला नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपना पक्ष रखा है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि हमारी अदालतें इस तरह का भेदभाव करेंगी तो उन पर से भरोसा खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में हमें अपील के लिए मौका देना चाहिए था लेकिन रातों रात पूजा शुरू की गई, ये गलत है. हम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को खत लिखेंगे. हमने राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा है और जरूरत पड़ी तो दूसरे लोगों से भी मिलेंगे.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि अदालतों के ऐसे फैसले नहीं होते हैं, जैसे हो रहे हैं. उन्होंने हमें कोई मौका ही नहीं दिया. वायस ऑफ खुरासन के जरिए बाबरी मस्जिद लेने ने धमकी पर इलियास ने कहा कि ISIS ने कहा कि ये इश्यू हमारा नहीं है. इस पर कमेंट नहीं करेंगे. कानूनी लड़ाई हो या फिर इंसाफ की हो, हम उस पर बात करेंगे. बाहर के लोग क्या कहते हैं, उस पर हम जवाब नहीं दे सकते हैं.

मदनी बोले- हम मुंह दिखाने के काबिल नहीं
ज्ञानवापी  मामले पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी (Mahmood Madani) ने कहा कि इससे इंडिया के जूडिशियल सिस्टम पर बड़ा सवाल आ गया है. एक तरफा तौर पर जाते-जाते इनामात मिल जाएंगे. इस तरह का फैसला दे दिया. ऊपर की अदालत दखल देने को तैयार नहीं है. मदनी ने कहा कि पहले प्रेस कांफ्रेंस प्रेस क्लब में होने वाली थी. प्रेस क्लब वाले कहते हैं कि इस सब्जेक्ट पर आप बात नहीं कर सकते हैं. प्रेस क्लब के पास भी हम नहीं जा सकते हैं. बात इस कदर नहीं हो जानी चाहिए कि खराबी की तरफ बढ़ जाए. मदनी ने कहा कि ये कहना गलत नहीं होगा कि दुश्मनों जैसा सुलूक किया जा रहा है. मदनी ने कहा कि हम मुंह दिखाने के काबिल नहीं हैं. उसमें कुछ आप लोगों (प्रेस) का भी हाथ है. ये जंगलराज है. ऐसा नहीं होना चाहिए. जबकि नियाज फारुखी ने कहा कि इस केस में एक फैसला बनारस कोर्ट ने दिया. उसके खिलाफ हम आला अदालत में जाएं, ये रास्ता था. हम सुप्रीम कोर्ट जाते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट जाइए. हाईकोर्ट भी नहीं सुना और न ही लोवर कोर्ट ने. ये कौन सा इंसाफ है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट से मस्जिद पक्ष को राहत नहीं
गौरतलब है कि वाराणसी के ज्ञानवापी तलगृह में पूजा-अर्चना की अनुमति देने संबंधी जिला जज वाराणसी के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट से मस्जिद पक्ष को कोई फौरी राहत नहीं मिली. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने 31जनवरी की स्थिति बहाल करने की मांग की है. अगली सुनवाई अब छह फरवरी को होगी. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने कहा कि मस्जिद पक्ष पहले 17 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दे. इस आदेश से जिलाधिकारी वाराणसी को रिसीवर नियुक्त किया गया है. जिस पर जिलाधिकारी ने 23 जनवरी को ज्ञानवापी परिसर को अपने कब्जे में ले लिया है. इसके बाद जिला कोर्ट ने 31 जनवरी के अंतरिम आदेश से काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पुजारी के जरिए तलगृह में पूजा करने की अनुमति दी है.

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