परमवीर चक्र देेश का सर्वोच्च सम्मान है जो विशेष बहादुुरी, सर्वोच्च स्तर की वीरता, असाधारण सााहस और दृढ़ संकल्प के लिए दुुश्मनों सेे लोहा लेनेे वाले वीर जवानों को दिया जाता है.
परमवीर चक्र सेे जमीन, समुद्र, वायु किसी भी जगह दुश्मनों को टक्कर देने वाले वीर जवानों को सम्मानित किया जाता है. ये सम्मान जवान को मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है जो अक्सर दिया भी गया हैै, लेकिन क्या आप जानतेे हैं कि भारतीय सेना में तैैनात तीन ही ऐसे जवान हैं जो जीवित रहतेे इस सम्मान सेे सम्मानित हुए हैं. तो चलिए आज उन्हीं के बारे में जानतेे हैं.
ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव
ग्रेनेडियर बटालियन 18 केे ग्रेनेडियर योगेेन्द्र सिंह यादव को कारगिल युद्ध के दौरान 4 जुलाई 1999 की सुबह अपनेे घातक कमांडो प्लाटून के साथ टाइगर हिल पर तीन रणनीतिक बंकरों पर कब्जा करनेे का काम सौंंपा गया था. इसके लिए जो लक्ष्य था वो 16,500 फीट की ऊंचाई पर बर्फ से ढंका हुआ था. ग्रेनेडियर योग्रेेंद्र यादव ने इस दौरान स्वेच्छा सेे हमले का नेेतृत्व किया था. वो चट्टानों के रास्ते अपने लक्ष्य तक पहुंंचने की दिशा में आगे बढ़ ही रहे थे कि इसी बीच दुश्मनों ने आधे रास्ते में ही शीन गन और रॉकेेट सेे फायर करना शुरू कर दिया. ऐसे में एक प्लाटून कमांडर और दो अन्य लोग इस भारी गोलीबारी की चपेट में तो आ गए. ग्रेनेडियर योगेेन्द्र यादव को भी कमर और कंधे पर गोली लगी लेकिन स्थिति को भांंपते हुए ववो आगेे बढ़ते हुए 60 फीट ऊपर चढ़ते हुए शीर्ष पर पहुंंच गए.
फिर रेंगते हुए बंकरों तक पहुंचेे और ग्रेनेड से पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला किया. जिसमें पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. अपने इस कार्य से वो अपने बाकी कमांडर को आसानी से चट्टान तक ले जाने में कामयाब रहे. इस दौरान योंग्रेंद्र सिंह यादव को 15 गोलियां लगी थीं वहीं उनपर दो हथगोले से भी वार किए गए थे. उनका हाथ टेंडन से लटका हुआ था. फिर भी इनसभी चीजों की परवाह किए बिना वो एक बंकर से दूसरे बंकर गए. गंभीर रूप से घायल योग्रेंद्र यादव नीचे आए और दुश्मनों की कार्ययोजना अपनेे कमांडिंग ऑफिसर को बता दी. वहीं उनके साथी 7 लोेग ऊपर की ओर बढ़े. इस दौरान वो किस रूप से घायल थे इस बात का अंदाजा इसी से लगया जा सकता है कि वो अस्पताल में 16 महीने रहकर ठीक हो पाए थे. उनके इस जाबांंज कार्य केे लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
राइफलमैन संजय कुमार
राइफलमैन संजय कुमार 13 जेेएके राइफल्स के अग्रणी स्काउट थे जिसे 4 जुलाई 199 को पाकिस्तान केे उग्रवादियों के कब्जे वाले एरिया फ्लैैट टॉप पर कब्जा करनेे का मिशन दिया गया था. इस दौरान दुश्मनों की गोलीबारी के बीच संजय कुमार रेंगते हुए आगे बढ़ते रहे. उन्हें सीने और कंधे पर गोली लग चुकी थी इसकी परवाह किए बिना ही वो आगे बढ़ते रहे और दुश्मनों की ही मशीनगन उठाकर उनके तीन सैनिकों को मार दिया. इस दौरान संजय कुमार के शरीर से लगाातार खून बह रहा था. उनके इस साहस के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
नायाब सूबेदार बाना सिंह
बाना सिंह को जून 1987 में 8वीं जम्मू और कश्मीर एलआई को सियाचिन क्षेेत्र में तैनात किया गया था. इसी बीच पाकिस्तानियों ने सियाचिन ग्लेशियर की सबसे ऊंची चोटी लगभग 6500 मीटर की ऊंचाई पर घुसपैठ कर ली. इस दौरान नायाब सुबेदार बाना सिंह नेे अपनेे सैनिकों को बेहद कठिन और खतरनाक रास्ते से गुजारा. इस दौरान रेंगते हुए सैनिकों ने दुश्मनों पर हथगोले फैंके और उनपर हमला किया. जिसकेे चलते उन्होंनेे सभी घुसपैठियों को पोस्ट सेे साफ कर दिया. उनकी इसी वीरता के लिए उन्हें परमवीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वहीें जिस चोटी पर उन्होंने कब्जा किया था उसका नाम बदलकर बाना टॉप रख दिया गया.