इंडिया गठबंधन इसलिए बनाया गया था, ताकि सभी विपक्षी दल साथ मिलकर चुनाव लड़ें और जीत हासिल करें. हालांकि, ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है.
देश में चंद महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन पूरे जोर-शोर के साथ तैयारियां कर रहा हैं. वहीं, दूसरी ओर एनडीए को हराने का ख्वाब सजाए बैठे इंडिया गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. लोकसभा चुनाव में जीत को ध्यान में रखते हुए पिछले साल इंडिया गठबंधन का गठन हुआ, लेकिन इसमें शामिल पार्टियों के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तालमेल नहीं बैठ पा रहा है, जिसने टेंशन बढ़ा दी है.
इंडिया गठबंधन में कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती है, जो कई दलों को पसंद नहीं आ रहा है. सबसे ताजा उदाहरण पंजाब और पश्चिम बंगाल हैं, जहां कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के लिए राज्य के दो दलों के बीच सहमति नहीं बनी है. पंजाब के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता भगवंत मान ने कहा है कि उनके राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होगा. यही बातें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ ममता बनर्जी ने भी कही हैं.
विपक्षी दलों के जरिए मिलकर बनाए गए गठबंधन इंडिया की राहें बेहद मुश्किल नजर आने लगी हैं. माना जा रहा है कि इसी तरह की बगावत अन्य राज्यों में भी हो सकती है. ऐसे में आइए 10 प्वाइंट में जानते हैं कि पंजाब और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे से इनकार करने के बाद किस तरह से बाकी राज्यों में भी इंडिया गठबंधन के लिए कितनी मुश्किलें होने वाली हैं.