Sunday, November 17, 2024
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Ram Mandir: राम मंदिर को किसने डिजाइन किया, किस टेक्‍नोलॉजी का हुआ इस्तेमाल, इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर का नायाब उदाहरण रामलला का भव्य महल

Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा में अब सिर्फ दो दिन ही शेष बचे हैं. 22 जनवरी को रामलला अपने उतकृष्ट भव्य और नव्य महल में विराजमान हो जाएंगे. इस दौरान पीएम मोदी समेत 7,000 मेहमान अयोध्या में मौजूद रहेंगे.

अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर का डिजाइन देश के प्रसिद्ध वास्तुकार चंद्रकांत बी सोमपुरा ने किया है. इस कार्य में चंद्रकात के दो बेटों, निखिल और आशीष सोमपुरा ने भी सहयोग किया है. बताया जाता है कि अयोध्या मंदिर के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत बी सोमपुरा से पहली बार 1989 में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने राम मंदिर के डिजाइन और निर्माण के लिए संपर्क किया था.

चंद्रकांत बी सोमपुरा के बेटे आशीष सोमपुरा के अनुसार राम मंदिर में कई चीजें पहली बार हुई हैं. वास्तुशिल्प के प्वाइंट से सबसे महत्वपूर्ण मंदिर का डिजाइन ही है. आशीष के मुताबिक राम मंदिर दुनिया का पहला है मंदिर है, जिसके निर्माण से पहले ही उसका 3डी स्ट्रक्चरल एनालिसिस किया गया.

आशीष ने बताया आम तौर पर, प्रचीन शिल्प शास्त्रों के अनुसार बनाए गए मंदिर की एक स्थिर संरचना होती है, जिसे लंबे समय तक टिके रहने के लिए डिजाइन किया जाता है. लेकिन यहां इसके स्थिरता को पुख्ता करने के लिए पूरी जांच की गई. यह विश्लेषण CSIR के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने किया. मंदिर की मौजूद डिजाइन के अनुसार राम मंदिर 25,00 साल तक सुरक्षित खड़ा रहेगा.

नागर शैली में बना बना राम मंदिर एक ठोस पत्थर की नींव पर खड़ा है. खासतौर से 30 सालों में इकट्ठा की गई अलग-अलग भाषाओं में भगवान राम का नाम लिखी लगभग दो लाख ईंटे मंदिर के निर्माण में लगाई गई हैं.

चंद्रकांत सोमपुरा की तरफ से राम मंदिर के ओरिजनल डिजाइन को और ज्यादा भव्य बनाने के लिए इसमें बदलाव करना पड़ा. आशीष के अनुसार मूल रूप से मंदिर में दो मंडपों की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब मंदिर में पांच मंडप बनाए गए हैं.

रामलला का भव्य महल इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर का नायब उदाहरण है. मंदिर 12 फीट की जगत और एक ऊपरी चबूतरे पर खड़ा है. सीढ़ीदार पांच मंडप बनाए गए हैं. गरबा गृह के ऊपर वाला शिखर सबसे ऊंचा 161 फीट का है. मंडप में 300 स्तंभ और 44 द्वार बनाए गए हैं.

आशीष के मुताबिक राम मंदिर की निर्माण तकनीक और इंजीनियरिंग सटीक है. बाहरी तापमान के प्रभाव को कम करने के लिए नींव में सेल्फ-कॉम्पैक्ट कंकरीट का प्रयोग किया गया है. राम मंदिर की डिजाइन 6.5 तीव्रता के भूकंप को सहन करने में सक्षम है.

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