Ram Mandir Inauguration: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह को लेकर पूजन विधि मंगलवार (16 जनवरी) से शुरू होगी.
Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार (15 जनवरी) को कहा कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है, उसे 18 जनवरी को गर्भगृह में अपने आसन पर स्थापित किया जाएगा.
राय ने कहा, ”22 जनवरी को अयोध्या धाम में अपने भव्य मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी, जबकि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है, उसे 18 जनवरी को गर्भगृह में अपने आसन पर स्थापित किया जाएगा.”
वहीं, अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाते हुए जाने से मना कर चुकी कांग्रेस के नेताओं ने सोमवार को सरयू में डुबकी लगाई. इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि उनकी पार्टी मंगलवार (16 जनवरी) को दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में सुंदरकांड पाठ कार्यक्रम आयोजित करेगी.
चंपत राय ने क्या कहा?
चंपत राय ने कहा कि मैसूर के अरुण योगीराज की बनाई गई रामलला की मूर्ति को अयोध्या में राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है और 18 जनवरी को इसे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ पर गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम शुरू होगा. मंदिर 20 और 21 जनवरी को बंद रहेगा और लोग 23 जनवरी से फिर से भगवान के दर्शन कर सकेंगे.
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए राय ने बताया, “कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं. प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी. प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी श्रद्धेय गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित किया है. वहीं, प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कर्मकांड की संपूर्ण विधि वाराणसी के ही लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा कराई जाएगी.”
अखिलेश यादव क्या बोले?
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ”अयोध्या में सरयू के तट पर सपा काल में बने भजन संध्या स्थल पर हो रहे आयोजन बता रहे हैं कि बड़ी सोच से किए गए काम स्थानीय विकास के साथ-साथ समाज के आध्यात्मिक उत्थान में भी सहयोग करते हैं.”