Friday, November 15, 2024
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Merry Christmas Review: विजय सेतुपति-कैटरीना कैफ की ये दिलचस्प फिल्म सीट से उठने का मौका नहीं देती

Merry Christmas Review: कैटरीना कैफ और विजय सेतुपति की फिल्म मैरी क्रिसमस सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ लें रिव्यू.

Merry Christmas Review: विक्की कौशल बड़े किस्मत वाले हैं. इस फिल्म में एक सीन आता है जिसे देखकर यही लगता है. नहीं फिल्म में विक्की का कोई कैमियो नहीं है. तो ऐसा क्यों है….पूरा रिव्यू पढ़िए पता चलेगा. अच्छी फिल्म के लिए बड़ा बजट, बड़े सेट, महंगे कपड़े नहीं चाहिए होते. ये बात इस फिल्म को देखकर पता चलती है. एक रात की कहानी…न बड़ा सेट… न बार बार हीरो हीरोइन के कपड़े बदले लेकिन मजा आया और लगा ये होती है थ्रिलर.

कहानी

ऐसी फिल्मों की कहानी ही उनकी जान होती है और वो बताना नाइंसाफी है. थोड़ी से जान लीजिए, क्रिसमस की रात है. कैटरीना अपनी छोटी से बच्ची के साथ सेलिब्रेट करने निकलीं हैं. विजय सेतुपति 7 साल बाद क्रिसमस के दिन शहर आए हैं और अकेले जश्न मनाने निकले हैं. एक मर्डर होता है..किसका होता है…किसने किया…फिर कहानी मैं संजय कपूर आते हैं. विनय पाठक भी आते हैं और इसके आगे जानने के लिए थिएटर जाइए.

कैसी है फिल्म

ये एक जबरदस्त थ्रिलर है. ओपनिंग शॉट ही कमाल है. 2 मिक्सर में कुछ पीसा जा रहा है. कई सारे मसाले डाले जा रहे हैं और फिल्म में भी ऐसा है. पहले सीन से फिल्म आपको बांध लेती है. लगता है कि कुछ तो दिलचस्प हो रहा है और आगे क्या होगा इसका कोई अंदाजा नहीं लगता. कमाल के वन लाइनर आते हैं. आपको हंसी आती है लेकिन ह्यूमर को जबरदस्ती नहीं डाला गया. सिचुएशन और डायलॉग के जरिए डाला गया है और इसी में मज़ा आता है. इंटरवल कब हो जाता है पता ही नहीं लगता. इंटरवल के बाद भी ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं लेकिन सेकंड हाफ थोड़ा लंबा लगता है. जांच के सीन थोड़े छोटे हो सकते थे. लेकिन फिल्म आपको चौंकाती रहती है और यही एक थ्रिलर फिल्म की खासियत होती है.

एक्टिंग

विजय सेतुपति बहुत नेचुरल लगे हैं. जब वो वन लाइनर्स बोलते हैं तो मजा आता है. उन्हें देखकर लगता है कि वो एक्टिंग करने की कोशिश करते ही नहीं. सब नेचुरल होता हुआ लगता है. कैटरीना कैफ का काम शानदार है. वो लग भी बहुत खूबसूरत रहीं हैं. एक सीन में वो कहती हैं हम जिससे प्यार करते हैं वो मर जाते या उसके लिए हमारा प्यार मार जाते….मरते तो हम ही हैं न…और आप ये चीज महसूस करते हैं. कैटरीना और विजय की केमिस्ट्री गजब की है. दोनों अलग तरह के एक्टर हैं लेकिन यहां दोनों एक साथ खूब जमे हैं. एक सीन में दोनों डांस करते हैं और वहां आपको विक्की कौशल याद आ जाते हैं. संजय कपूर का काम शानदार है. वो फिल्म में एक अलग ह्यूमर लाते हैं और उनके आने के बाद कुछ और गजब के ट्विस्ट भी आते हैं. विनय पाठक ने शानदार काम किया है. राधिका आप्टे छोटे से रोल में भी याद रह जाती हैं. प्रतिमा काजमी और टीनू आनंद ने हमेशा की तरह जबरदस्त नेचुरल एक्टिंग की है.

डायरेक्शन

बदलापुर और अंधाधुन के बाद श्रीराम राघवन ने करीब 6 साल बाद डायरेक्शन में वापसी की है और शानदार तरीके से की है. फिल्म पर उनकी छाप साफ दिखती है. सेकेंड हाफ को थोड़ा और बेहतर किया जाता तो यह फिल्म और शानदार बनती.

म्यूजिक

प्रीतम का म्यूजिक अच्छा है. बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा लगता है.

कुल मिलाकर ये अच्छी थ्रिलर है. साउथ के हीरो और बॉलीवुड की हीरोइन का ये कॉम्बो काफी एंटरटेन करता है. देख डालिए.

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