Saturday, September 21, 2024
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Operation Cactus: जब मालदीव के राष्ट्रपति को भारतीय सेना ने किया था रेस्क्यू, ऑपरेशन कैक्टस से रोका था तख्तापलट

Operation Cactus In Maldives: भारतीय सेना ने कई देशों में जाकर अलग-अलग तरह के खतरनाक ऑपरेशन किए हैं, एक ऐसा ही ऑपरेशन मालदीव की धरती पर भी हुआ था, जिसमें तख्तापलट की कोशिश को नाकाम किया गया.

Operation Cactus In Maldives: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सेना को उनके देश से बाहर निकालने की बात कही. जिसके बाद बहस तेज हो गई कि आखिर भारतीय सेना से मालदीव के राष्ट्रपति को क्या दिक्कत हो रही है. इस बयान के बाद इसे चीन वाले एंगल से देखा गया है, जिसमें बताया गया कि नए राष्ट्रपति का चीन की तरफ ज्यादा झुकाव है, जिसके चलते वो भारत और भारतीय सेना को लेकर ऐसी बात कर रहे हैं. ये बात थोड़ी पुरानी हो गई, लेकिन आज हम आपको भारतीय सेना के उस ऑपरेशन के बारे में बता रहे हैं, जिसे मालदीव में किया गया था. 

मालदीव में ऑपरेशन
भारतीय सेना ने कई देशों में जाकर ऑपरेशन किए हैं. ऐसा ही एक ऑपरेशन मालदीव की धरती पर भी हुआ. इसे ऑपरेशन कैक्टस के नाम से लोग जानते हैं. इस ऑपरेशन के बाद भारतीय सेना की ताकत का लोहा पूरी दुनिया मानने लगी. मालदीव एशिया का सबसे छोटा देश है. भारत का ज्यादातर समुद्री ट्रेड मालदीव के नजदीक से ही गुजरता है. 

आतंकियों ने बोला हमला
मालदीव में पहली बार 1978 में चुनाव हुए, इससे पहले ब्रिटिश इस पर राज करते थे. इसके बाद चुनी हुई सरकार को हटाने की कई बार कोशिशें हुईं. साल 1988 में एक अटैक हुआ, जिसमें राष्ट्रपति अब्दुल गयूम पर हमला किया गया. इस दौरान राष्ट्रपति एक सरकारी दौरे पर निकल रहे थे. तब एक विद्रोही समूह ने प्लान बनाया और सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश की. इस साजिश में श्रीलंका का चरमपंथी संगठन LTTE भी शामिल हुआ. टूरिस्ट बनकर हजारों आतंकी मालदीव पहुंच गए और हमला बोल दिया. 

राष्ट्रपति अब्दुल गयूम को इस दौरान भारत दौरे पर आना था, लेकिन किसी कारण के चलते वो तय समय पर रवाना नहीं हो पाए. वहीं आतंकियों का प्लान था कि वो राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में हमला बोलेंगे. राष्ट्रपति का दौरा रद्द होने के बाद आतंकियों ने तमाम सरकारी इमारतों पर हमला बोल दिया. 

भारतीय कमांडोज ने पूरा किया काम
इस हमले से निपटने के लिए मालदीव की सेना पूरी तरह तैयार नहीं थी. इसीलिए कई देशों से मदद मांगी गई, लेकिन ज्यादातर देशों ने हाथ पीछे खींच लिए. आखिरकार भारत से मदद मांगी गई, जिसके बाद भारत सरकार ने इंडियन आर्मी के कमांडोज की एक टीम तैयार की और ऑपरेशन कैक्टस शुरू हो गया. भारतीय सेना के जवानों ने राष्ट्रपति गयूम को रेस्क्यू किया और उन्हें नेशनल सर्विस हेडक्वार्टर तक पहुंचाया. 

इसके बाद इंडियन आर्मी ने आतंकियों पर हमला बोल दिया और उन्हें खदेड़ना शुरू कर दिया. भाग रहे आतंकियों को इंडियन नेवी ने सबक सिखाया. भारतीय सेना ने मजह 18 घंटे के भीतर पूरे मालदीव को खतरे से बाहर कर दिया था. इस तरह मालदीव में तख्तापलट की सबसे बड़ी कोशिश को भारत की आर्मी ने नाकाम कर दिया. 

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