Kerala Blast: केरल ब्लास्ट की प्रारंभिक जांच पड़ताल में पता चला है कि यह कम तीव्रता वाला विस्फोट था, इसमें छर्रे का प्रयोग नहीं किया गया. जांच टीम को इस दौरान कोई छर्रे नहीं मिले हैं.
Kerala Kalamassery Church Blast: केरल के जमरा इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एग्जीबिशन सेंटर में रविवार (29 अक्टूबर) को सिलसिलेवार दो विस्फोटों (Kerala Blast) में एक महिला की मौत और 23 लोग घायल हो गए हैं. धमाके के वक्त प्रार्थना सभा (Christian Community prayer) में करीब ढाई हजार लोग मौजूद थे. इस दिल दहला देने वाली घटना को लेकर गृह मंत्रालय ने एएनआई (NIA) जांच के आदेश दिए हैं.
धमाके के बाद आतंकवाद विरोधी गुप्तचरों और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की टीमों को केरल के कलामासेरी में यहोवा साक्षी (Jehovah Witnesses) चर्च भेजा गया है. इस तरह का पहला आंतरिक विस्फोट कई सालों बाद हुआ है. मौके पर आतंकवाद विरोधी दस्ता मौजूद है. हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लास्ट की प्रारंभिक जांच पड़ताल में पता चला है कि यह कम तीव्रता वाला विस्फोट था इसमें छर्रे का प्रयोग नहीं किया गया. जांच टीम को इस दौरान कोई छर्रे नहीं मिले हैं.
शुरुआती जांच में ‘टाइमर आधारित डिवाइस’ की मौजूदगी का चला पता
अब तक की जांच पर सीनियर अफसरों का कहना है कि इस्तेमाल किया गया विस्फोटक उपकरण एक टाइमर बेस्ड डिवाइस था, क्योंकि घटनास्थल पर बैटरी और तार पाए गए हैं. बैटरी और तारों के साथ एक टाइमर आधारित डिवाइस की मौजूदगी से पता चलता है कि आतंकवादियों ने अधिक सिग्नल भेजने के लिए एक पूरी तरह से आंकलन किये गए इस कायरतापूर्ण कार्य को अंजाम दिया है.
मामले की गंभीरता के चलते एनआईए एसपी घटनास्थल पर मौजूद
इस मामले को अभी तक आधिकारिक तौर पर एनआईए को नहीं सौंपा गया है लेकिन एनआईए एसपी घटनास्थल पर मौजूद हैं. एनआईए की मौजूदगी घटना की गंभीरता को दर्शाती है. वहीं, काउंटर टेरर एजेंसियां इस घटना की जांच में जुटी हुई हैं.
कोच्चि के पास कलामासेरी बीते समय में पीएफआई समेत मुस्लिम कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए जाना जाता रहा है. हालांकि, पीएफआई को अपनी चरमपंथी गतिविधियों के लिए आईईडी के इस्तेमाल के लिए नहीं जाना जाता है.