Friday, September 20, 2024
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ISRO: तेजी से सूरज के सफर पर आदित्य एल-1, इसरो चीफ ने गगनयान पर भी दिया बड़ा अपडेट, जाने अंतरिक्ष में भारत के परचम की शानदार कहानी

India Space Mission: इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा है कि आदित्य L1 सफलतापूर्वक सूरज और पृथ्वी के बीच L1 प्वाइंट के लिए बढ़ रहा है. इस बीच मिशन गगनयान की टेस्ट लॉन्च 21 अक्टूबर को होगी.

Mission GaganYaan Update: धरती से बाहर सुदूर अंतरिक्ष में अनंत रहस्यो को खोजने की रेस में भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ एस सोमनाथ ने बताया है कि भारत अगले कुछ दिनों तक  हर महीने अंतरिक्ष के सफर के लिए लांच करता रहेगा.

तमिलनाडु के मदुरै में रविवार (14 अक्टूबर) को मीडिया से मुखातिब सोमनाथ ने बताया कि सूरज के अध्ययन के लिए भारत का महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल-1 (Aditya L1) बिल्कुल सही सलामत धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर एल-1 प्वाइंट के लिए बढ़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी 21 अक्टूबर को अंतरिक्ष में मानव भेजने के महत्वाकांक्षी मिशन ‘गगनयान’ (GaganYaan) के लिए टेस्ट लॉन्च 21 अक्टूबर को ही होने जा रहा है.

जनवरी के मध्य में L1 प्वाइंट पर पहुंचेगा आदित्य एल-1

सोमनाथ ने कहा कि भारत का पहला अंतरिक्ष-आधारित सौर मिशन, आदित्य-एल-1 अंतरिक्ष यान सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है और जनवरी के मध्य तक लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल-1) तक पहुंचने की उम्मीद है.

उन्होंने कहा, “यह (आदित्य एल-1) बहुत अच्छा काम कर रहा है. वर्तमान में, पृथ्वी से L1 बिंदु तक यात्रा करने में लगभग 110 दिन लगते हैं. तो जनवरी के मध्य तक यह L1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा. फिर उस प्वाइंट पर, हम (इसरो) L1 पॉइंट पर यान के इंसरशन की प्रक्रिया शुरू करेंगे. उसे हेलो ऑर्बिट कहा जाता है. यह एक बड़ी कक्षा है.

21 अक्टूबर को गगनयान मिशन के लिए परीक्षण उड़ान

इसरो चीफ ने ‘गगनयान’ मिशन के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, “गगनयान मिशन के लिए परीक्षण उड़ान 21 अक्टूबर को होग. गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करते देखने के लिए परीक्षण की आवश्यकता है. गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रणाली है. यदि रॉकेट को कुछ भी होता है, तो रॉकेट के विस्फोट में जलने से पहले  कम से कम दो किमी दूर चालक दल को ले जाकर बचाना है. इसलिए यह परीक्षण क्रू मेंबर्स के एस्केप की प्रणाली को प्रदर्शित करने के लिए है. इसे ट्रांसोनिक स्थिति कहा जाता है.”

जनवरी तक होते रहेंगे हर हर महीने उड़ान

एस सोमनाथ ने बताया कि मिशन गगनयान के फाइनल लॉन्च से पहले हर महीने कम से कम एक उड़ान लॉन्च होते रहेंगे। उन्होंने कहा, “हर महीने हम कम से कम एक प्रक्षेपण करेंगे. गगनयान परीक्षण वाहन के प्रक्षेपण (21 अक्टूबर) के बाद, हमारे पास जीएसएलवी है. फिर हमारे पास एसएसएलवी है. उसके बाद, गगनयान मानवरहित मिशन होगा. बीच में एक पीएसएलवी प्रक्षेपण होगा. इसलिए जनवरी से पहले , आप कम से कम 4-5 लॉन्च देखेंगे।

क्या है गगनयान मिशन

मिशन गगनयान भारत का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को धरती से 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजा जाना है. उसके बाद इसे वापस पृथ्वी पर लाना तथा बंगाल की खाड़ी के समुद्र में उतारने की योजना है. अगले साल के अंत में इसे फाइनली लांच किया जाना है. उसके पहले अंतरिक्ष यात्रियों के सुरक्षित वापसी के लिए कई टेस्ट लॉन्च होंगे.

अभी हाल ही में गत 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कराकर इसरो ने इतिहास रचा है. इसके पहले धरती से परे दूसरे खगोलीय पिंड मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजकर सफलता का परचम लहराया था.

आदित्य एल-1 पर चौबीसों घंटे पड़ेगी सूरज की रोशनी

फिलहाल इसरो का सूर्य के बाहरी परत के अध्ययन का एक और महत्वाकांक्षी मिशन आदित्य एल-1 अपने सफ़र पर है. उसे धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर एल-1 पॉइंट पर स्थापित कर सूरज का अध्ययन किया जाना है. यह ऐसा पॉइंट है जहां धरती और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण एक दूसरों को कैंसिल आउट कर देते हैं, जिसकी वजह से कोई भी चीज बिना ईंधन खर्च किए अपनी जगह पर स्थिर बनी रहती है.

एल-1 पॉइंट पर दूसरे किसी खगोलीय पिंड की छाया नहीं पड़ती, जिसकी वजह से चौबीसों घंटे सूरज की रोशनी यान पर पड़ेगी और सूरज के बाहरी परत का अध्ययन आसान होगा. इसके लिए आदित्य एल-1 में सात पेलोड्स लगाए गए हैं जिन्हें स्वदेशी तरीके से विकसित किया गया है.

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