7 अक्टूबर की सुबह साढ़े 6 बजे के करीब हमास ने एक के बाद एक 5000 रॉकेट इजराइल पर दागने का दावा किया। ये हमला इतना जबरदस्त था कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद को इस हमले की भनक तक नहीं लगी।
इस हमले में 100 से ज्यादा इजराइलियों की जान गईं। वहीं, 1000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों ने इजराइल में घुसपैठ कर दी। 1948 के बाद इजराइल में फिलिस्तीनी घुसपैठ का ये सबसे बड़ा मामला है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वो दुश्मन को किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। इसलिए इसे तीसरे इंतिफादा की शुरुआत कहा जा रहा है।
इंतिफादा का मतलब क्या है…
इंतिफादा एक अरबी शब्द है। इसे अंग्रेजी में ‘शेक ऑफ’ कहते हैं। इजराइल के खिलाफ विद्रोह और उस पर जोरदार हमले को फिलिस्तीन के लोग इंतिफादा कहते हैं। एक ऐसा हमला जो इजराइल को पूरी तरह से हिला कर रख दे। 1987 में फिलिस्तीन में इस शब्द का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा।
यह वह मौका था, जब इजराइली सैनिकों के खिलाफ लोग वेस्ट बैंक और गाजा में जोरदार विरोध जता रहे थे। फिलिस्तीन मूल के अमेरिकी प्रोफेसर एडवर्ड सईद ने 1989 में इंतिफादा शब्द की व्याख्या की थी। उन्होंने कहा था कि ये अपनी जमीन, देश और इतिहास बचाने के लिए फिलिस्तीनियों की इजराइल के खिलाफ एक तरह की जवाबी कार्रवाई है।
4 मजदूरों की मौत से शुरू हुआ पहला इंतिफादा #ANBNEWS
पहले इंतिफादा की शुरुआत 8 दिसंबर 1989 को हुई। इसकी वजह 4 फिलस्तीनी मजदूरों की मौत थी। दरअसल, फिलिस्तीनी मजदूरों की एक कार से इजराइली आर्मी की टक्कर हो गई थी। इजराइल का कहना था कि ट्रक का ड्राइवर गाड़ी पर कंट्रोल खो बैठा था, जिसकी वजह से हादसा हुआ। लेकिन, बहुत से अरब देशों और फिलिस्तीनियों ने माना कि ये टक्कर जानबूझ कर मारी गई थी। ताकि, इससे कुछ दिन पहले चाकू घोंपकर मारे गए इजराइली सैनिक की मौत का बदला लिया जा सके।
पहले इंतिफादा के दौरान इजराइली फोर्सेस पर पत्थर फेंकते हुए फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारी।
फिलस्तीनी मजदूरों की मौत के बाद इजराइली सैनिकों के खिलाफ हिंसा भड़क गई। इजराइली सैनिकों ने इसका जवाब गोलियां चला कर दिया। इससे हिंसा और भड़कती चले गई। पहले इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन की अगुवाई आम लोग कर रहे थे। फिर देखते ही देखते फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) के नेता यासिर अराफत ने इस पूरी बगावत की जिम्मेदारी खुद ले ली।
फिलिस्तीनियों ने इजराइल जाकर काम करना, टैक्स देना और वहां का सामान खरीदने से इनकार कर दिया। साथ ही फिलिस्तीनी इजराइली सैनिकों को देखते ही उन पर पत्थर और बोतलें फेंककर हमला करने लगे। माना जाता है कि पहले इंतिफादा में ही हमास का जन्म हुआ, जो अभी इजराइल पर रॉकेट बरसा रहा है।
पहले इंतिफादा के दौरान फिलिस्तीन के एक इमाम शेख अहमद यासीन ने मुस्लिम ब्रदरहुड और PLO को अप्रोच किया। यासीन 12 साल की उम्र में एक एक्सीडेंट के चलते व्हील चेयर पर आ गया था। उसे ज्यादा दिखाई भी नहीं देता था। इसके बावजूद वो इजराइल के खिलाफ हमास बनाने में कामयाब रहा।
इजराइल ने अपने कब्जे वाले इलाके में बगावत को दबाने के लिए कर्फ्यू लगाए। विद्रोहियों की गिरफ्तारी की। 1993 में इजराइली सरकार और PLO के बीच ओस्लो शांति समझौते के बाद पहला इंतिफादा खत्म हुआ। इसी समझौते से फिलिस्तीन को अपने कब्जे वाले इलाके में शासन का अधिकार मिला। इजराइल के एक एनजीओ बितसलेम का दावा है कि 1993 के अंत तक 1,203 फलस्तीनी और 179 इजराइली मारे गए।
इजराइल नेता के दौरे से भड़का दूसरा इंतिफादा
ये बात सितंबर 2000 की है। 28 सितंबर को इजराइल के विपक्षी नेता आरियल शेरोन पूर्वी येरुशलम पहुंचते हैं। उनके यहां पहुंचने पर फिलिस्तीनी लोग उनका जोरदार विरोध करते हैं। इजराइली नेता के इस दौरे से फिलिस्तीनियों को लगा कि इजराइल अल-अक्सा मस्जिद पर अपनी दावेदारी पेश कर रहा है। फिलिस्तीनियों का यही डर और इसकी वजह से शुरू हुए विरोध से दूसरे इंतिफादा की शुरुआत हुई।
हमास ने 6 अक्टूबर को आक्रोश दिवस मनाते हुए लोगों से इजराइली सेना के ठिकानों पर हमला करने की अपील की। भले ही पहले इंतिफादा में फिलिस्तीनी इजराइली सेना पर पत्थर और बम ही फेंकते थे, लेकिन दूसरे इंतिफादा में हमास ने आधुनिक हथियारों से लैस होकर इजराइल पर हमला बोला। इजराइल के शहरों और रिहायशी इलाकों में जबरदस्त गोलीबारी हुई। हमास के आत्मघाती हमलावर इजराइल में घुसे और तबाही मचाने लगे।
तस्वीर 2000 की है, जब दूसरे इंतिफादा के दौरान एक फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारी इजराइली सैनिक से किसी बात पर बहस कर रहा है।
होटलों, सड़कों और इमारतों में लोगों को चुन-चुनकर निशाना बनाया जाने लगा। इस हमले के जवाब में इजराइली एयरफोर्स ने गाजा पर बम बरसाने शुरू कर दिए। इसके बाद ही इजराइल ने सीमा पर एक बड़ी दीवार बनाई। ताकि दुश्मन चाहकर भी इजराइल में न घुस पाए। इजराइल के न्यूजपेपर हारेत्स का दावा है कि दूसरे इंतिफादा में 1330 इजराइली जबकि 3300 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए थे।
दूसरा इंतिफादा कब खत्म हुआ इसको लेकर कोई एक निश्चित तारीख नहीं है। हालांकि, फिलिस्तीन के उस वक्त के राष्ट्रपति यासिर अराफात की 2004 में मौत हो गई। इसके बाद इंतिफादा के तहत होने वाले हमले कम हो गए। धीरे-धीरे इजराइली फोर्स ने एक बार फिर फिलिस्तीन पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।