अपने देश में ब्रेड को बहुत से लोग डबलरोटी ही कहते हैं. मध्य और अधेड़ उम्र में पहुंच गए ज्यादा लोग इसे डबलरोटी ही कहते हैं. आप गांव या छोटे कस्बों में चले जाएंगे, वहां भी इसे इसी तरह से बोलता हुआ पाएंगे. कई बार जेहन में सवाल आता होगा कि ब्रेड को आखिर डबलरोटी क्यों कहते हैं. रोटी जैसी तो ये होती नहीं.
इसे लेकर कोई मुकम्मल तथ्य तो नहीं मिलते लेकिन कई बातें कही जाती रही हैं. भारत में ब्रेड अंग्रेजों और उनसे पहले पुर्तगालियों द्वारा इस देश में लाई गई. तब ब्रेड इस तरह स्लाइस के रूप में कटकर नहीं मिलती थी, तब वह मोटे चौकोर आकार में ही बिकती या मिलती थी. जिसे बाद में घरों में चाकू से स्लाइस के रूप में काट लिया जाता था.
क्या सैंडविच को देखकर डबलरोटी कहा गया
“कोरा” पर किसी ने लिखा कि ‘डबल रोटी’ नाम इस तथ्य से आया है कि जब अंग्रेजों ने भारत में सैंडविच पेश किया, तो मूल निवासियों ने इसे ‘डबल रोटी’ कहा क्योंकि इसमें ब्रेड के दो स्लाइस के अंदर मांस और सब्जियां भरी हुई थीं.
ब्रेड स्लाइस की मोटाई दो रोटियों जितनी भी
वैसे ये बात पक्की है कि किसी भी तरह के ब्रेड को पुराने जमाने में डबलरोटी ही कहते थे. दिलचस्प बात ये है कि रोटी तो हमारा देशज शब्द है और डबल अंग्रेजी बोला जाने वाला शब्द. हालांकि ये सही है कि एक ब्रेड स्लाइस की मोटाई तो रोटियों जैसी होती है.
एक और फैक्ट ये है कि इसे डबल रोटी कहा जाता था क्योंकि किण्वन के बाद बैटर फूलकर अपने मूल आकार से दोगुना हो जाता था. इसलिए नाम पड़ गया डबल रोटी.
पुर्तगाली लेकर आए थे खमीरी रोटी
वैसे ब्रेड भारत के लिए विदेशी रही है. हमारी भारतीय ब्रेड पारंपरिक रूप से अखमीरी या चपटी होती है, जिसमें ज्यादातर चपाती, रोटी, परांठा, नान या पूरी शामिल होती है. ब्रिटिश राज के दौरान भारत में बेक्ड वेस्टर्न ब्रेड लोकप्रिय हुई.संदीप चटर्जी अपने ब्लाग में लिखते हैं कि पश्चिमी ब्रेड का उपयोग शायद पुर्तगाली उपनिवेश काल के दौरान हुआ .
खमीरी रोटी को सेंकने पर आकार दोगुना हो जाता है
बहुत से लोग सोचते हैं कि ब्रेड को ‘डबल रोटी’ कहा जाता है क्योंकि सेंकने पर इसका आकार दोगुना हो जाता है। इसके अलावा अधिक दिलचस्प बात यह है कि कुछ लोग कहते हैं कि ‘पाव’ या ‘पाओ रूटी’ (ब्रेड के लिए बंगाली शब्द) शब्द इस तथ्य से आया है कि 19 वीं शताब्दी में भारत की ब्रेड फैक्ट्रियों में व्यावसायिक ब्रेड को पैरों से गूंथा जाता था. ‘पाव’ शब्द ब्रेड के लिए पुर्तगाली शब्द – ‘पाओ’ से आया है.
सारी दुनिया में डबलरोटी का उपयोग
आजकल विश्व के लगभग सारे देशों में डबलरोटी (ब्रेड) का उपयोग हो रहा है. डबलरोटी आज से नहीं सदियों पहले से अस्तित्व में है. कहते हैं कि ईसा से 3000 वर्ष पूर्व मिस्र में डबल रोटी की शुरूआत हुई थी. वहां के लोग गुंधे हुए आटे में खमीर मिली टिकिया को भट्टी में पकाकर डबलरोटी बनाते थे. इस प्रकार डबलरोटी बनाने के नमूने मिस्र के मकबरों में मिलते हैं.
कई तरह और अलग पदार्थों से तैयार की जाती है
अलग-अलग देशों में अलग-अलग पदार्थों से डबलरोटी तैयार की जाती है. कहीं नमक मिले आटे या मैदा से, तो कहीं आलू, मटर, चावल या जौ का आटा मिलाकर इसे स्वादिष्ट बनाया जाता है. डबलरोटी के आटे में मिला खमीर पकाए जाने पर गैस बनाता है, जो बुलबुले के रूप में फटकर बाहर निकलती है. इसी कारण डबलरोटी में सुराख होते हैं.
ब्रेड सबसे पुराने तैयार किए जाते खाद्य पदार्थों में एक है. ब्रेड बनाने का दुनिया का सबसे पुराना सबूत जॉर्डन के उत्तरपूर्वी रेगिस्तान में 14,500 वर्ष पुरानी नाटुफियन स्थल में पाया गया.
कहां का मुख्य भोजन
ब्रेड मध्य पूर्व, मध्य एशिया, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका में मुख्य भोजन है.दक्षिण और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में चावल या नूडल्स मुख्य भोजन है. ब्रेड आमतौर पर गेहूं के आटे से बनाई जाती है जिसे खमीर के साथ संवर्धित किया जाता है, उठने दिया जाता है. आखिर में ओवन में बेक किया जाता है.