पंजाब के परिवहन मंत्री स. लालजीत सिंह भुल्लर ने आज राज्य में सड़क हादसों में मौत की दर 50 प्रतिशत तक घटाने पर ज़ोर देते हुए राज्य की सड़कों पर जा रही लोगों की कीमती जानें बचाने को प्राथमिकता देने सम्बन्धी मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार की वचनबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सड़क हादसों में मौतों की दर को अधिक से अधिक हद तक घटाना है।
यहाँ मगसीपा में रोड सेफ्टी संबंधी लीड एजेंसी “पंजाब राज्य सड़क सुरक्षा परिषद“ द्वारा आयोजित की गई दो दिवसीय सड़क सुरक्षा वर्कशॉप और ट्रेनिंग प्रोग्राम के समाप्ति सैशन को संबोधन करते हुए कैबिनेट मंत्री ने समूह भाईवालों और सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को लोगों की कीमती जानें बचाने के लिए दृढ़ भावना और आपसी प्रभावी तालमेल के साथ काम करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
स. लालजीत सिंह भुल्लर ने सैशन में हिस्सा लेने वाले सभी भागीदारों को प्रण दिलाया कि वे सड़क हादसों में मौत दर घटाने और सड़क सुरक्षा के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सांझे यत्न करते हुये व्यक्तिगत तौर पर कम से कम 10-10 जानें बचाने के लिए प्रयास करेंगे।
परिवहन मंत्री स. लालजीत सिंह भुल्लर ने ट्रैफ़िक नियमों का उल्लंघन करने वालों को सख़्त चेतावनी देते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि छोटी उम्र के नौजवानों द्वारा ट्रैफ़िक नियमों का उल्लंघन करने पर ऐसे नौजवानों सहित उनके माता-पिता भी समान रूप से ज़िम्मेदार ठहराए जाने चाहिए और इनको उल्लंघन के परिणाम भी समान रूप से भुगतना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी सख़्त पहुँच से सड़कों पर लापरवाही और लापरवाही वाले रवैये को रोकने में मदद मिलेगी।
सड़क सुरक्षा संबंधी लीड एजेंसी के डायरैक्टर जनरल श्री आर. वेंकट रत्नम् ने अपने संबोधन में कहा कि वर्कशाप का उद्देश्य सड़क हादसों में जा रही कीमती जानों को बचाना, सड़क सुरक्षा उपायों को और ज्यादा कारगर बनाने सम्बन्धी प्रभावशाली प्रणाली तैयार करना और सड़क सुरक्षा मापदण्डों की ख़ामियों को दूर करना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह वर्कशॉप सड़क सुरक्षा की महत्ता पर रौशनी डालने के साथ-साथ सड़क हादसें में जाने वाली कीमती जानें बचाने के लिए और रणनीतियां तैयार करने में लाज़िमी तौर पर सहायक होगी।
श्री आर. वेंकट रत्नम् ने बताया कि पहले पड़ाव के अंतर्गत “ज़िला सड़क सुरक्षा कमेटियों“ के लिए राज्य के समूह डिप्टी कमिश्नरों को 4 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा और ट्रैफ़िक प्रबंधन के उपायों के लागूकरण के लिए बड़े ज़िलों को 20-20 लाख रुपए और छोटे ज़िलों को 15-15 लाख रुपए दिए गए हैं और यह राशि डिप्टी कमिश्नरों द्वारा विभिन्न सड़क सुरक्षा और ट्रैफ़िक प्रबंधन उपाय करने और जागरूकता मुहिमें चलाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्कशाप करवाने का एक उद्देश्य इन फंडों के सही प्रयोग को यकीनी बनाना भी है।
ए.डी.जी.पी. ट्रैफिक स. अमरदीप सिंह राय ने लोगों को ट्रैफ़िक नियमों की पालना करने के लिए सहयोग देने की अपील करते हुए कहा कि हर व्यक्ति की यह प्राथमिकता होनी चाहिए कि वह बिना किसी डर के सड़क हादसों में जा रही कीमती जानों को बचाए।
पंजाब इंजीनियरिंग कालेज चंडीगढ़ के सिवल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. उमेश शर्मा ने शहरी और राष्ट्रीय मार्गों के लिए सड़क सुरक्षा इंजीनियरिंग के विभिन्न पहलूओं के बारे जानकारी साझा की, जिसमें जीयोमैट्रिक डिज़ाइन, संकेतक चिह्न, निशानदेही, बैठने के लिए रखे बैंचों, चौराहे, चौक, कैश बैरियर्ज़ और ट्रैफ़िक के शोर को घटाने सम्बन्धी उपाय शामिल हैं।
पंजाब राज्य सड़क सुरक्षा परिषद के ज्वाइंट डायरैक्टर इंजीनियरिंग डा. के.के. गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और लीड एजेंसी की भूमिका के बारे में बात करते हुए सड़क सुरक्षा मीटिंगों और सेफ्टी फंडों के बारे में विस्तृत रौशनी डाली।
वर्कशॉप में ज़िला प्रशासन से अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नरों, एस.पीज़, एस.डी.एमज़, एस.इज, ऐकसियनों, एस.एम.ओज़, सहायक सिविल सर्जनों, कार्यकारी अधिकारियों, डॉक्टरों, ट्रैफ़िक पुलिस के विभिन्न अधिकारियों, आर. टी.ए. सचिवों, भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण के इंजीनियरों, समाज सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों और ज़िला प्रशासन के अन्य अधिकारियों ने सक्रियता से हिस्सा लिया।